32. 21 जून को ही क्यों?
21 जून को ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बनरए जरने क
े पीछे वजह है कक
इस दिन ग्रीष्ट्म संक्रंतत होती है। इस दिन सूया धर्ती की दृष्ष्ट्ि से उत्तर्
से िक्षिण की ओर् चलनर शुरू कर्तर है। यरनी सूया जो अब तक उत्तर्ी
गोलरधा क
े सरमने थर, अब िक्षिणी गोलरधा की तर्फ बढऩर शुरु हो जरतर
है। योग क
े नजरर्ए से यह समय संक्मण करल होतर है, यरनी रूपरंतर्ण
क
े ललए बेहतर् समय होतर है।
सद्गुरु क
े अनुसरर्, ‘ ग्रीष्ट्म संक्रतत क
े दिन अपने ध्यरन से उठने क
े
बरि आदियोगी िक्षिण की ओर् घूमे, जहरं उनकी सबसे पहली नजर्
सप्त ऋषियों पर् पडी। ये सरत ऋषि उनक
े पहले सरत लशष्ट्य थे, जो योग
षवज्ञरन को िुतनयर क
े हर् कोने में ले गए। यह बेहि खुशी की बरत है कक
21 जून मरनवतर क
े इततहरस में उस महरन घिनर कर प्रतीक बन गयर।
योगगक कथरओं क
े अनुसरर् योग कर पहलर प्रसरर् लशव द्वरर्र उनक
े
सरत लशष्ट्यों क
े बीच ककयर गयर। कहते हैं कक इन सप्त ऋषियों को
ग्रीष्ट्म संक्रतत क
े बरि आने वरली पहली पूर्णामर क
े दिन योग की िीिर
िी गई थी, ष्जसे लशव क
े अवतर्ण क
े तौर् पर् भी मनरते हैं। इस िौर् को
33. िक्षिणरयन क
े नरम से जरनर जरतर है। इस िौर्रन आध्यरष्ममक सरधनर
कर्ने वरले लोगों को प्रकृ तत की तर्फ से स्वत: सहयोग लमलतर है।’