विशेष इंटरव्यू: हम एक ऐसे मोड़ पर हैं जहाँ कूटनीति नाकाम हो गई है, टोर वैनेसलैंड
ग़ाज़ा में युद्ध दरअसल, यूएन के लिए “सबसे बड़ी तनाव परीक्षा” है जिसका सामना यूएन ने इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच अधिक शान्ति स्थापित करने और दो-देशों की स्थापना के समाधान के लिए अपने काम में किया है. यह कहना है टोर वैनेसलैंड का जो मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत के रूप में वर्ष 2021 से, इन प्रयासों के अग्रिम मोर्चे पर रहे हैं.
टोर वैनेसलैंड ने इस सप्ताह के शुरू में यूएन समाचार के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि ग़ाज़ा में युद्ध को एक साल से अधिक समय बीत चुका है, “हम उस बिन्दु पर हैं जहाँ कूटनीति विफल हो गई है, जहाँ भू-राजनीति बेहद कठिन है.”
पद त्याग का निर्णय
नॉर्वे मूल के अनुभवी राजनयिक टोर वैनेसलैंड, मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक के रूप में अपनी भूमिका से हट रहे हैं. उन्होंने पूरे मध् पूर्व क्षेत्र में सम्बन्धों को बेहतर बनाने की दशकों तक कोशिशें की हैं.
टोर वैनेसलैंड उस प्रक्रिया के दौरान नॉर्वे के विदेश मंत्रालय में सलाहकार थे जिसकी बदौलत फ़लस्तीनी क्षेत्र पश्चिमी तट और ग़ाज़ा पट्टी पर, 1995 में ओस्लो II समझौता हुआ और उन्होंने फ़लस्तीनी प्राधिकरण में नॉर्वे के प्रतिनिधि के रूप में काम करने के साथ-साथ, मिस्र और लीबिया में राजदूत के रूप में भी कार्य किया.
टोर वैनेसलैंड ने यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत में कहा, "मैंने इस फ़ाइल पर 15 से 20 साल से अधिक समय तक अपने परिवार के धैर्य को आज़माइश में डाला है, और कभी ना कभी, आपको यह निर्णय लेना होता है कि आप ऐसा कब तक जारी रखेंगे."
उम्मीदें अब भी क़ायम हैं
टोर वैनेसलैंड ने ग़ाज़ा में युद्धविराम, सभी बन्धकों की रिहाई व ज़मीन पर लोगों तक मानवीय सहायता पहुँचाने का आहवान जारी रखा है. उनका मानना है कि इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच शान्ति अब भी सम्भव है, और यूएन सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुरूप दो-देश समाधान अब भी व्यवहार्य है, अलबत्ता इसे कमज़ोर करने के प्रयास किए गए हैं.
उन्होंने युद्ध को समाप्त करने की दिशा में प्रगति होने की उम्मीद भी जताई और कहा कि हम सबको एक ऐसे समय बिन्दु की तलाश करने की ज़रूरत है जहाँ सब ठीक तरह से बैठ सकें और स्पष्ट रूप से सोच सकें कि इससे कैसे बाहर निकला जा सकता है. “हम सब अब उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं."
उन्होंने 7 अक्टूबर 2023 को इसराइल पर हमास के नेतृत्व वाले हमलों के बाद, ग़ाज़ा में युद्ध शुरू होने के बाद से हुए घटनाक्रमों का वर्णन करने के साथ, साक्षात्कार शुरू किया.
इंटरव्यू को संक्षिप्तता व स्पष्टता के लिए सम्पादित किया गया है.

टोर वैनेसलैंड: हमने पहले भी अलग-अलग परिस्थितियों में जो कुछ किया था - और मैं ओस्लो II पर हस्ताक्षर होने के बाद से इस फ़ाइल पर काम कर रहा हूँ - हमें मुश्किलें आईं, हमने बुरे दिन देखे, लेकिन इस बार यह एक हिमस्खलन की तरह था और इसने सभी को चौंका दिया.
लेकिन यह स्थिति हमें ऐसे समय में प्रभावित कर रही थी जब राजनीतिक रूप से इस मुद्दे के इर्द-गिर्द कोई स्पष्ट गतिशीलता नहीं थी. इसलिए, हम बहुत जल्दी उन हालात में पहुँच गए जहाँ सशस्त्र टकराव की घटनाओं में तेज़ी से उछाल आया और वास्तव में पश्चिमी तट में भी एक एक चलन कुछ समय तक जारी रहा.
इसलिए, मुझे लगता है कि ईमानदारी से कहें तो इसमें शामिल हर कोई व्यक्ति परेशान था. मेरा मतलब है, हर कोई. और किसी को भी इस बात का कोई स्पष्ट ज्ञान नहीं था कि इससे कैसे निपटना है, चाहे वह पक्षकार हों, क्षेत्रीय हस्तियाँ हों या संयुक्त राष्ट्र.
मेरा मतलब है, यह स्थिति संयुक्त राट्र के लिए, इस फ़ाइल पर अब तक का सबसे बड़ा तनाव इम्तेहान था, इसलिए हमें अपनी क्षमता को मज़बूत करने और यह देखने की ज़रूरत थी कि क्या करना है और कैसे आगे बढ़ना है.
पिछले 14 महीनों के दौरान इस युद्ध को रोकने के लिए जो अथक प्रयास किए गए हैं, जबकि उनमें कोई भी सफलता नहीं मिली है, और मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूँ कि हम अब भी संकट में फँसे हुए हैं. मेरा कहने का मतलब है कि हम उस बिन्दु पर हैं जहाँ कूटनीति विफल हो गई है, जहाँ भू-राजनीति बेहद कठिन है. और यह सुरक्षा परिषद के काम में भी परिलक्षित हुआ है, और इसने निश्चित रूप से संयुक्त राष्ट्र और ज़मीन पर अपना काम करने की यूएन क्षमता के लिए बहुत बड़ी बाधाएँ उत्पन्न की हैं.
यूएन समाचार: इन सबके बाद, क्या आपको लगता है कि दो-देश समाधान सहित शान्ति प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जा सकता है? और क्या यह अब भी आपकी चर्चाओं और वार्ताओं का आधार है?
टोर वैनेसलैंड: बिल्कुल. मैं आपका बताना चाहूंगा कि मैंने अब अपने काम के दौरान बहुत अधिक सम्पर्क बनाया है - कोई भी ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो इस स्थिति अलग तरीक़े से परिभाषित कर रहे हों, सिवाय उन लोगों के जो इस समाधान को सदैव के लिए ख़त्म करना चाहते हैं, और हमारी आँखों के सामने ऐसा ही हो रहा है.
और मेरी सबसे बड़ी चिन्ता यह है कि हम उन मापदंडों को खो रहे हैं जिनके तहत हम 1967 और 1973 से परिषद के प्रारम्भिक प्रस्तावों के साथ काम करते रहे हैं. लेकिन अब फ़लस्तीनी देश स्थापित किए जाने वाले संस्थागत ढांचे को ख़त्म करने का एक स्पष्ट प्रयास सामने है, और यह एक ऐसी गति व प्रेरणा के साथ हो रहा है जो मैंने पहले कभी नहीं देखा.

यूएन समाचार: आप कह रहे हैं कि ये ताक़तें हैं, और ऐसा लगता है कि प्रभावशाली ताक़तें हैं, जो फ़लस्तीनी देश और दो-राष्ट्र समाधान को कमज़ोर करेंगी या कमज़ोर कर रही हैं. लेकिन इस निराशाजनक स्थिति को ठीक करने के लिए संयुक्त और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से अभी क्या किया जा सकता है?
टोर वैनेसलैंड: दरअसल, इस स्थिति का कोई त्वरित समाधान नहीं है, लेकिन समाधान तलाश करने के लिए पक्के इरादे और प्रेरणा की ज़रूरत है. क्षेत्रीय देशों के साथ मेरी बहुत नज़दीकी बातचीत क़ायम है. इन्ही देशों को क्षेत्रीय स्थिरता की स्थिति से सबसे अधिक लाभ होगा, इसके अलावा आम इसराइली और फ़लस्तीनी दोनों ही आबादियों को भी लाभ होगा.
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इसके परिणामस्वरूप इसराइल भी बिखराव का सामना कर रहा है. इसराइल की अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है और इसराइल में ऐसा तनाव है जो मैंने अपने पूरे कार्यकाल में कभी नहीं देखा, जो अब हमारी आँखों के सामने घटित हो रहा है.
फ़लस्तीन और इसराइल दोनों में ही पूरी व्यवस्था असन्तुलित है और इसे फिर से स्थापित करने के लिए बहुत प्रयास करने होंगे.
हमें दो चीज़ों पर टिके रहने की ज़रूरत है. पहली बात तो ये कि हमें सामान्य अन्तरराष्ट्रीय सिद्धान्तों और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून पर टिके रहने की ज़रूरत है और इस डोर को एक पल के लिए भी नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि अगर हम ऐसा कर देंगे तो इसका इस्तेमाल दूसरी जगहों पर नकारात्मक रूप से किया जा सकता है.
दूसरी बात, हमें ज़मीन पर आम लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए जा सकने वाले हर सम्भव प्रयास करने होंगे, और हम यह काम भारी बाधाओं के बीच कर भी रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी स्वयं को इस तरह से उजागर कर रहे हैं कि इसके परिणामस्वरूप हमें कर्मचारियों का भारी नुक़सान उठाना पड़ रहा है. और फिर हमें आगे की राजनीति का सामना करने के लिए अपनी पूरी क्षमता के साथ फिर से जुटना होगा.
यूएन समाचार: आपने सुरक्षा परिषद को बताया कि मौजूदा घटनाओं का प्रभाव पीढ़ियों तक रहेगा और यह क्षेत्र को इस तरह से आकार देगा जो हमारी समझे से परे होगा. आप किन परिणामों के बारे में सबसे अधिक चिन्तित और परेशान हैं?
टोर वैनेसलैंड: फ़लस्तीनी आबादी बहुत युवा आबादी है. अगर हम मौजूदा गतिरोध से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं सुझा सकते, तो दूसरे लोग उन्हें अपने मक़सदों के लिए उनकी भर्ती करना शुरू कर देंगे. और हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस तरह के संकट का पड़ोसी देशों और विशेष रूप से मध्य पूर्व क्षेत्र में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, लेकिन अन्य जगहों पर भी असर होगा क्योंकि इसराइल-फ़लस्तीन टकराव कुछ ऐसा है जो योरोप की राजधानियों की सड़कों, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और निश्चित रूप से क्षेत्र में वैश्विक रूप से दिखाई दे रहा है.
हम एक ऐसी युवा पीढ़ी के साथ पोकर खेल खेल रहे हैं, जो समाधान के बारे में किसी भी दृष्टिकोण के अभाव में, अपनी हताशा को बाहर निकालने के लिए अन्य तरीक़े खोज सकती है. यह बहुत ख़तरनाक स्थिति होगी, और यह सभी के लिए ख़तरनाक है. और यह केवल यहाँ ही नहीं है.
यूएन समाचार: सुरक्षा परिषद में दी गई आपकी एक टिप्पणी का ज़िक्र करना चाहेंगे. आपने उल्लेख किया कि यदि सम्बन्धित पक्ष कोई रास्ता नहीं खोज सकते हैं, तो अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को आगे का रास्ता तय करना चाहिए. दुनिया भर में नए घटनाक्रम के साथ, शायद नई सरकारों, नए प्रशासनों, परिवर्तनों के सन्दर्भ में आप इसे अभी कैसे देखते हैं?
टोर वैनेसलैंड: दरअसर, दुनिया सी तरह की है. मेरा मतलब है, प्रस्थान बिन्दु ये है कि हमें वास्तविकताओं को वैसे ही देखना-समझना चाहिए जैसी की वो हैं, क्योंकि उचित वास्तविक राजनीति करने का यही एकमात्र तरीक़ा है.
लेकिन मैंने जो कहा वो ये है कि वास्तव में कुछ महत्वपूर्ण सिद्धान्त जो इसराइल-फ़लस्तीनी टकराव और इसराइल-अरब टकराव पर काम का मार्गदर्शन करते रहे हैं, वो अब दबाव में हैं. और एकमात्र स्थान जहाँ अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिए आगे का रास्ता फिर से निर्धारित करना प्रासंगिक है, वह सुरक्षा परिषद में लिए गए निर्णयों पर आधारित है.
हम अनेक सैमिनार और सम्मेलन आयोजित कर सकते हैं मगर हमें आगे का रास्ता निकालना होगा. हमें सुरक्षा परिषदम निर्णयों के ज़रिए आगे का रास्ता निकालना होगा. और मेरा ख़याल है कि हमारे पास समय बहुत कम है.

यूएन समाचार: मगर, जैसाकि हम जानते हैं कि पिछले लगभग एक वर्ष से सुरक्षा परिषद विभाजित रही है तो ऐसे हालात में, प्रभाव रखने वाले देशों को आगे बढ़ने के लिए क्या चीज़ प्रोत्साहित करेगी?
टोर वैनेसलैंड: मेरा मतलब है कि सुरक्षा परिषद दो-देश समाधान के मुद्दे पर विभाजित नहीं है. इन सिद्धान्तों के बारे में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक सहमति है, लेकिन उन्हें कमतर करके आँका गया है, और हमें इस वास्तविकता को बहुत सीधे तौर पर देखना-समझना होगा. जब सुरक्षा परिषद ने आठ साल पहले प्रस्ताव 2334 पर अपना पिछला राजनैतिक निर्णय लिया था, तब ग़ाज़ा की स्थिति बहुत अलग थी.
ग़ाज़ा की स्थिति में बदलाव को सुरक्षा परिषद ने कभी भी क्षेत्रीय मुद्दे, सीमा मुद्दों, इसराइल के क़ब्जे के मुद्दों के निवारण के लिए ठीक से हल नहीं किया है. सुरक्षा परिषद ने इन स्थितियों पर कभी भी अपनी कोई राय नहीं बनाई है. और उन सिद्धान्तों को लागू करना बहुत मुश्किल नहीं है जिन्हें हम यूएन सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव या ओस्लो समझौते के बाद तैयार किए गए समझौतों में बरक़रार रखते आए हैं.
उन्हें फिर से लागू करने की ज़रूरत है और अगर हम फ़लस्तीनी देश की स्थापना करना चाहते हैं तो इस बीच फ़लस्तीनी शासन संरचना की ज़रूरत है. और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस पर आम सहमति है, इसलिए जो हमारे पास मौजूद है हमें उस पर काम करना होगा और हम सिद्धान्तों को किस तरह लागू करें इस बारे में भी आम समझ है. लेकिन टकराव के बाद के समय के लिए हमारे पास कोई ढाँचा भी नहीं है.
यूएन समाचार: इसराइल और फ़लस्तीन, दोनों पक्षों के समर्थकों में से कुछ का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र पर्याप्त काम नहीं कर रहा है, ख़ासकर राजनैतिक क्षेत्र में. आप यूएन के काम और अपनी भूमिका और काम के बारे में उनसे क्या कहना चाहेंगे?
टोर वैनेसलैंड: जैसा कि मैंने शुरू में कहा था, इस स्तर का टकराव पहले कभी नहीं देखा गया और निश्चित रूप से इसराइल देश की स्थापना के बाद तो कभी नहीं देखा गया है. हम कभी भी ऐसा टकराव नहीं देखा है जो 14 महीने तक चला हो. इतनी तीव्रता व सघनता के साथ-साथ इतने बड़े नुक़सान और विनाश का टकराव भी नहीं हुआ.
हम निश्चित रूप से लेबनान और क्षेत्र के अन्य स्थानों में जो टकरावों में वृद्धि देख रहे हैं, उसे रोकने के लिए काम कर रहे हैं. हमने इस क्षेत्र में या ज़मीन पर ऐसा पहले कभी नहीं देखा. इसलिए, इस टकराव के पहले सप्ताह में, मेरा ध्यान इसी पर था. फिर इससे बाहर निकलने और आगे बढ़ने का रास्ता खोजने का सवाल भी दरपेश है, क्योंकि बहुत ही तेज़ और गहन युद्ध चल रहा है.
इसलिए, आपको ऐसे पड़ाव पर पहुँचने की आवश्यकता है, जहाँ आप ठीक से बैठ सकें और स्पष्ट रूप से सोच सकें कि आप इस संकट से किस तरह बाहर निकल सकते हैं. अब हम उसी स्थिति की तरफ़ बढ़ रहे हैं. हम नवम्बर में ऐसा नहीं कर पाए, जब हम बन्धकों को निकालने का हिस्सा बनने के लिए तैयार थे.
हम ऐसा नहीं कर पाए क्योंकि युद्ध जारी है और ग़ाज़ा में लोगों को कोने-कोने में खदेड़ा जा रहा था. इसलिए, हमें हमेशा कूटनीति और निर्णय लेने के माध्यम से ही, टकराव से बाहर निकलने की आवश्यकता होती है, जिससे आगे का रास्ता निकलता है.
और, ज़ाहिर है, हमें युद् विराम की आवश्यकता है, हमें बन्धकों को बाहर निकालने की आवश्यकता है, हमें एक स्थाई युद्धविराम की आवश्यकता है, और हमें सुरक्षा की आवश्यकता है. मेरा मतलब है, हमें फ़लस्तीनियों और इसराइलियों के लिए सुरक्षा की आवश्यकता है.