वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

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महिलाएँ

बांग्लादेश में, बाल विवाह के विरुद्ध जागरूकता अभियान के लाभ नज़र आ रहे हैं.
© UNFPA Bangladesh/Farjana Sultana

बाल विवाह से जुड़े 5 मिथक या भ्रान्तियाँ

संयुक्त राष्ट्र की यौन एवं प्रजनन एजेंसी, UNFPA का कहना है कि दुनिया के अनेक क्षेत्रों में, प्रत्येक दिन, औसतन पाँच में से हर एक लड़की का बाल अवस्था में ही विवाह कर दिया जाता है. यह एक ग़ैरक़ानूनी चलन है, जिसकी दुनिया भर में निन्दा होती है, लेकिन फिर भी यह प्रथा वैश्विक स्तर पर फैली हुई है. UNFPA सभी देशों से बाल विवाह के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द करने का आग्रह कर रही है.

भारत में विश्व बैंक की तमिलनाडु ग्रामीण परिवर्तन परियोजना, उद्यमिता को बढ़ावा देकर ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार पैदा करने में मदद कर रही है.
© World Bank

भारत: तमिलनाडु में महिला उद्यमियों को पंख देती एक परियोजना

भारत के तमिलनाडु प्रदेश में विश्व बैंक की मदद से, ग्रामीण क्षेत्रों में एक लाख से अधिक महिला उद्यमों को बढ़ावा दिया गया है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मज़बूत होने के साथ ही, उनकी प्रगति को नए पंख मिले हैं.  महिलाओं को ऋण के ज़रिए, अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए आवश्यक सहायता प्राप्त हुई है. 

यूक्रेन में लिंग आधारित हिंसा से बचे लोगों के लिए एक केन्द्र में, यूएनएफ़पीए ने खाद्य सामग्री वितरित की. यूएन एजेंसियाँ युद्ध के तीन वर्ष के दौरान, व्यापक पैमाने पर सहायता मुहैया कराती रही हैं.
© UNFPA/Danil Pavlov

यूक्रेन: तीन साल के युद्ध ने, महिलाओं व लड़कियों की प्रगति को उलट दिया है

महिलाओं की बेहतरी के लिए सक्रिय संयुक्त संगठन – UN Women ने कहा है कि यूक्रेन में तीन साल के युद्ध ने, महिलाओं और लड़कियों की दशकों की प्रगति को उलट दिया है, जिसके कारण, लाखों लोगों को तत्काल सहायता की आवश्यकता है.

ज्योति इलैक्ट्रिक सर्किट का काम समझ रही हैं.
UN Women

मद्धिम रौशनी में झिलमिलाते सपने – STEM में महिलाओं व लड़कियों की बढ़त

भारत में UN Women संस्था, विज्ञानप्रौद्योगिकीइंजीनियरिंगगणित (STEM) की शिक्षा में महिलाओं की मौजूदगी बढ़ाने और उच्च विकास वाले STEM करियर में लैंगिक अन्तर पाटने के लिए प्रयास कर रही है. इसके लिए WeSTEM नामक एक पहल चलाई जा रही है जिसका लक्ष्य मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों की 2 हज़ार  युवा महिलाओं को उच्च विकास वाले STEM करियर में काम करने के कौशल से सुसज्जित करना है.

ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो शहर में, एक वैज्ञानिक, रोबोट पर काम करते हुए.
© UNICEF/Mary Gelman

वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए, विज्ञान जगत में महिलाओं की भागेदारी बढ़ाना ज़रूरी

महिलाओं को विज्ञान, टैक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग व गणित जैसे क्षेत्रों से जितना दूर रखा जाएगा, वैश्विक चुनौतियों से निपटने की हमारी क्षमता उतनी ही अधिक सीमित हो जाएगी. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार, 11 फ़रवरी, को ‘विज्ञान में महिलाओं व लड़कियों के लिए अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ पर जारी अपने सन्देश में यह बात कही है.

सीरिया के इदलिब मैटरनिटी हॉस्पिटल में चिकित्साकर्मी, आपातकालीन सर्जरी करते हुए.
© UNFPA/Abdul Razzaq Zakzouq

परिवार नियोजन जीवन बचाने में किस तरह सहायक

नाइजीरिया के उत्तरी हिस्से में जारी टकराव और भोजन की कमी के हालात में, सकीना सानी का विवाह 12 वर्ष की आयु में ही कर दिया गया था. सकीना, 15 वर्ष की उम्र में गर्भवती हो गईं, लेकिन तब उनका गर्भपात हो गया. फिर उन्होंने एक के बाद एक दो बच्चों को जन्म दिया. मगर क्या यह सकीना के स्वास्थ्य के लिए ठीक था और फिर इतनी जल्दी दो बच्चे क्यों पैदा हो गए?

केनया में महिला जननांग विकृति की प्रथा का अन्त करने के प्रयासों के तहत स्थानीय समुदाय एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं.
Courtesy of State Department for Gender and Affirmative Action, Kenya

FGM का ख़ात्मा करने के लिए, कार्रवाई की रफ़्तार बढानी होगी

दुनिया भर में गुरूवार, 6 फ़रवरी को, महिला जननांग विकृति (FGM) के लिए शून्य सहिष्णुता का अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाया गया, जिस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र ने आगाह किया है कि अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो, वर्ष 2030 तक 2 करोड़ 70 लाख दीगर लड़कियों को इस दर्दनाक प्रथा से गुज़रना पड़ेगा.

जिबूती के एक गाँव में, महिलाएँ और लड़कियाँ, महिला ख़तना के ख़िलाफ़ बढ़चढ़कर आवाज़ बुलन्द कर रही हैं.
© UNFPA-UNICEF

'नई पीढ़ी अलग है': जिबूती में महिला ख़तना के उन्मूलन की ज़ोरदार पैरवी

“वो चाकू अब भी मेरी आँखों में जगह बनाए हुए है, और वो महिला भी, जिसने मुझे पकड़कर गिरा दिया था.” ये शब्द हैं हवाअ मोहम्मद कामिल के जिनकी उम्र अब 30 वर्ष हो चुकी है. उन्हें जब महिला ख़तना (FGM) का शिकार बनाया गया, तब उनकी उम्र केवल 6 वर्ष थी. वो ऐसा अनुभव था जिसने उनके जीवन में ना केवल शारीरिक, बल्कि गहरे मनोवैज्ञानिक घाव भी छोड़े. मगर अब बदलाव की बयार ज़ोर पकड़ रही है.

लीना अपनी दुकान के बाहर तिपहिया वाहन खड़ा करती हैं, जिससे अगर कोई उन्हें आवाजाही के लिए बुलाए, तो वो तुरन्त चल दें.
© ILO/Yaseen J Khan

आपबीती: ‘कठिनाइयों ने मुझे अधिक मज़बूत बनाया’

श्रीलंका में अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO), आर्थिक विकास और मेल-मिलाप के ज़रिए विकलांगो को जीवन में सुधार लाने के लिए मदद कर रहा है. आईएलओ की यह मुहिमनॉर्वे और ऑस्ट्रेलिया से वित्त पोषित है, जिसके अच्छे नतीजे मिल रहे हैं. लीना पेनील्डस थाटकुरास विकलांग महिला हैं जिन्हें इस परियोजना का लाभ मिला है और उन्होंने अनगिनत कठिनाइयों के बावजूद, आगे बढ़ने का अपना रास्ता बनाया है.

महिलाओं द्वारा समावेशी, भरोसेमन्द एवं नैतिक एआई प्रणालियों के विकास का आहवान.
UNESCO for South Asia

महिलाओं के लिए समावेशी और नैतिक AI प्रणाली के लिए सामूहिक प्रयासों की पुकार

प्रौद्योगिकी का एक बहुत अहम हिस्सा - कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), तेज़ी से जीवन के हर क्षेत्र में अपने पैर पसार रहा है. यूनेस्को ने, दक्षिण एशिया में, एआई से जुड़े हर क्षेत्र में - डिज़ायन से लेकर विकास तक, महिलाओं की समान भागेदारी सुनिश्चित करने और समावेशी व नैतिक एआई प्रणालियाँ विकसित करने पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए, नैतिक एआई के लिए महिलाएँ - W4EAI नामक पहल आरम्भ की है.