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महिलाओं के लिए समावेशी और नैतिक AI प्रणाली के लिए सामूहिक प्रयासों की पुकार

महिलाओं द्वारा समावेशी, भरोसेमन्द एवं नैतिक एआई प्रणालियों के विकास का आहवान.
UNESCO for South Asia
UNESCO for South Asia
महिलाओं द्वारा समावेशी, भरोसेमन्द एवं नैतिक एआई प्रणालियों के विकास का आहवान.

महिलाओं के लिए समावेशी और नैतिक AI प्रणाली के लिए सामूहिक प्रयासों की पुकार

महिलाएँ

प्रौद्योगिकी का एक बहुत अहम हिस्सा - कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), तेज़ी से जीवन के हर क्षेत्र में अपने पैर पसार रहा है. यूनेस्को ने, दक्षिण एशिया में, एआई से जुड़े हर क्षेत्र में - डिज़ायन से लेकर विकास तक, महिलाओं की समान भागेदारी सुनिश्चित करने और समावेशी व नैतिक एआई प्रणालियाँ विकसित करने पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए, नैतिक एआई के लिए महिलाएँ - W4EAI नामक पहल आरम्भ की है.

भारत के केरल प्रदेश में हाल ही में, अन्तरराष्ट्रीय लैंगिक एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन के दौरान, महिलाओं के लिए नैतिक AI  पर दक्षिण एशियाई (W4EAI) अध्याय की शुरूआत की गई है.

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) दुनिया को बदल रही है, लेकिन इसमें महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी काफ़ी कम है. 

UNESCO के लैंगिक व एआई परिदृश्य  के अनुसार, AI कार्यबल में महिलाओं की भागेदारी मात्र 30% है, और नेतृत्व के पदों पर यह संख्या और भी कम है. 

अनुसन्धान और विकास में AI-सम्बन्धित भूमिकाओं में महिलाओं की भागेदारी केवल 12% है.

AI आज अर्थव्यवस्था से लेकर नीतियों तक हर क्षेत्र को प्रभावित कर रही है. ऐसे में यह सुनिश्चित करना अत्यन्त आवश्यक है कि AI प्रौद्योगिकियों के डिज़ाइन, विकास और कार्यान्वयन में महिलाओं की आवाज़ सुनी जाए.

इन्ही मुद्दों के समाधान के लिए, केरल के अमृतापुरी में 2025 के अन्तरराष्ट्रीय  लैंगिक एवं प्रौद्योगिकी  सम्मेलन के दौरान, नैतिक AI के लिए महिलाओं के दक्षिण एशियाई अध्याय (W4EAI) आरम्भ किया गया.

UNESCO द्वारा स्थापित W4EAI नैटवर्क के तहत, AI नैतिकता की सिफ़ारिशों के लैंगिक अध्याय के कार्यान्वयन पर नज़र रखी जाती है. 

194 सदस्य देशों द्वारा अपनाई गई इन सिफ़ारिशों का यह दक्षिण एशियाई अध्याय, क्षेत्र में समावेशी और नैतिक AI प्रणालियाँ विकसित करने, तथा AI के सम्पूर्ण जीवनचक्र (डिज़ायन से लेकर लागू करने तक) महिलाओं की समान भागेदारी सुनिश्चित करने पर केन्द्रित है.

W4EAI का उद्देश्य दक्षिण एशियाई महिलाओं की आवाज़ को सशक्त करना है, ताकि AI प्रणालियाँ इस क्षेत्र के विविध सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक सन्दर्भों को प्रतिबिंबित कर सकें.

UNESCO और इंस्टीट्यूट ऑफ़ इलैक्ट्रिकल एंड  इलेक्ट्रैनिक्स इंजीनियर्स  (IEEE) के सहयोग से, अमृता विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में, सरकार, उद्योग, शिक्षा और नागरिक समाज के विशेषज्ञों ने शामिल होकर, AI में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने पर चर्चा की.

AI, अब जीवन के हर क्षेत्र में प्रयोग के लिए अपने पैर पसार रही है. अगर इसे ज़िम्मेदारी के साथ प्रयोग किया जाए तो असीम लाभ हो सकते हैं.
© IAEA/А. Варгас

महत्वपूर्ण क़दम

भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव और श्रीलंका में W4EAI के दक्षिण एशियाई अध्याय की शुरूआत, AI में लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है.

UNESCO द्वारा बड़ी भाषा मॉडल्स (LLMs) जैसेकि OpenAI के GPT-2 और Meta के Llama 2 पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि इनमें स्थाई लैंगिक पूर्वाग्रह मौजूद हैं. 

उदाहरणस्वरूप, महिला नामों को प्रायः घरेलू भूमिकाओं से जोड़ा गया, जबकि पुरुष नामों को प्रबन्धकीय करियर से जोड़ा गया. AI में ऐसे पूर्वाग्रह हानिकारक, रूढ़ियों व असमानताओं को और मज़बूत कर सकते हैं.

UNESCO में सहायक सामाजिक और मानव विज्ञान की महानिदेशक, गैब्रिएला रामोस का कहना है, “हम केवल एक ऐसी तकनीकी क्रान्ति को बढ़ावा नहीं दे सकते, जो पूर्वाग्रहों को ना केवल दोहराए, बल्कि उन्हें और भी गम्भीर बना दे.”

ऐसे में, W4EAI के दक्षिण एशियाई अध्याय का लक्ष्य, इन क्षेत्रों को नैतिक AI के लिए रूपरेखा तैयार करने में सहयोग करना होगा. यह अध्याय करियर मार्गदर्शन, नियामक प्रोत्साहन, और लिंग-संवेदनशील AI नीतियों जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर काम करेगा.

W4EAI, समावेशी और नैतिक AI को बढ़ावा देकर, यह सुनिश्चित करेगा कि प्रौद्योगिकी का विकास सर्वजन के लिए फ़ायदेमन्द हो, न कि केवल कुछ विशेष समूहों के लिए.

भविष्य की राह

W4EAI, महिलाओं के प्रतिनिधित्व से आगे बढ़कर, सरकारों से लिंग-संवेदनशील AI नीतियों को लागू करने में नेतृत्व की भूमिका निभाने का आग्रह करेगा. 

इसके तहत नीति-निर्माताओं को AI में लैंगिक समानता के लिए सहायक ढाँचे तैयार करने की सलाह दी गई है.

अमृता विश्वविद्यालय की डीन और W4EAI के दक्षिण एशिया अध्याय की अध्यक्ष डॉक्टर भवानी राव के अनुसार, AI में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने का मुद्दा, मानवता से जुड़ा है. 

उन्होंने कहा, “भारत ने हाल के समय में एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में जैनरेटिव AI के साथ सबसे अधिक सहभागिता दर्ज की है. इस महत्वपूर्ण सहभागिता और AI के दक्षिण एशियाई जनसंख्या पर पड़ने वाले प्रभाव के मद्देनज़र यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि AI, मौजूदा असमानताओं और कमज़ोरियों को और अधिक नहीं बढ़ाए.”

W4EAI के दक्षिण एशियाई अध्याय के तहत, शोध, मार्गदर्शन, पैरोकारी और क्षमता निर्माण के ज़रिए AI में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने प्रयास किए जाएँगे.

इस अवसर पर UNESCO के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय कार्यालय में कार्यक्रम विशेषज्ञ और सामाजिक व मानव विज्ञान विभाग प्रमुख, यूनसोंग किम ने बताया,हम महिलाओं के एक मज़बूत नैटवर्क का निर्माण कर रहे हैं जो संस्थानों को AI में लैगिक आयामों से निपटने में सहायता करेगा."

"इसके ज़रिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि AI प्रौद्योगिकियों का विकास, डिज़ायनऔर कार्यान्वयन दक्षिण एशिया की वास्तविकताओं का वास्तविक आईना हो.”

W4EAI का मक़सद एक ऐसे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करना है, जिसमें AI प्रणालियाँ समावेशी, नैतिक, और न्यायसंगत हों. यह एक ऐसी दुनिया बनाने का प्रयास है जहाँ प्रौद्योगिकी सभी लोगों की सेवा करे, चाहे उनकी लैंगिक पहचान कुछ भी हो.