वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

तस्वीरों के सौन्दर्य में, समावेश और रचनात्मकता की चाशनी: विकलांगजन के लिए फ़ोटो प्रतियोगिता

ग्लोबल एबिलिटी फ़ोटोग्राफ़ी चैलेंज एक ऐसा मंच है जो क्षमता, समावेश और रचनात्मकता की भावना का जश्न मनाता है.
UNESCO/Bujanga Prasada Sai Mohith Vissa/Yadagiri Nithin/Arunachalam
ग्लोबल एबिलिटी फ़ोटोग्राफ़ी चैलेंज एक ऐसा मंच है जो क्षमता, समावेश और रचनात्मकता की भावना का जश्न मनाता है.

तस्वीरों के सौन्दर्य में, समावेश और रचनात्मकता की चाशनी: विकलांगजन के लिए फ़ोटो प्रतियोगिता

एसडीजी

सूर्यास्त के समय गोदावरी नदी के पानी का सौन्दर्य हो, प्राचीन पेड़ के तने पर बैठा रंग-बिरंगा तोता या फिर मन्दिरों के साथ लहलहाते पौधों के समन्वय की आभा – इन तस्वीरों के पीछे केवल इसमें दर्शाए चित्रों की ही कहानी नहीं है – इनमें छिपी हैं इन फ़ोटो को खींचने वाले दृश्यकारों की कहानियाँ, जिनमें कुछ ख़ास बात है. विशेषकर इसलिए, क्योंकि ये तस्वीरें विकलांग फ़ोटोग्राफ़रों ने खींची हैं.

विश्व स्तर पर, रचनात्मक समुदाय का मानना ​​है कि विकलांग व्यक्ति कला में एक अनूठा दृष्टिकोण प्रस्तुत करने की क्षमता रखते हैं.

भारत में यूनेस्को और उसके साझीदार संगठनों ने, इसी कलात्मकता को उजागर करने के उद्देश्य से, भागीदारों ने साथ मिलकर हाल ही में, राजधानी दिल्ली में तीसरे ग्लोबल एबिलिटी फ़ोटोग्राफी चैलेंज (GAPC) के पुरस्कार समारोह का आयोजन किया. 

इस फ़ोटोग्राफ़ी प्रतियोगिता के लिए, दुनिया भर से 320 से अधिक विकलांग व्यक्तियों ने अपनी खींची हुई तस्वीरें प्रस्तुत कीं.

ये तस्वीरें थी, भारत में यूनेस्को के कार्यालय में आयोजित ग्लोबल एबिलिटी फ़ोटोग्राफी चैलेंज (GAPC) के अन्तिम चरण के लिए चुने गए 20 आवेदकों की,  प्रविष्टियों की, जिनमें से 8 विजेताओं को उनकी असाधारण कलात्मकता के लिए पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.

भारत स्थित यूनेस्को कार्यालय में आयोजित ग्लोबल एबिलिटी फ़ोटोग्राफ़ी चुनौती के विजेताओं द्वारा खींची गई तस्वीरों की प्रदर्शनी.
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प्रेरणादायक कहानियाँ और दृढ़ता की मिसाल

पुरस्कार विजेताओं में से एक हैं - आँध्र प्रदेश से आए दृष्टिहीन फ़ोटोग्राफ़र, बुजंगा प्रसादा साई मोहित विस्सा. मोहित को गोदावरी नदी पर सूर्यास्त के समय खींची गई उनकी तस्वीर के लिए पुरस्कार मिला. 

मोहित बताते हैं, “यह आख़िरी क्षण का शॉट था. हमने इसके लिए बहुत लम्बे समय तक इन्तज़ार किया था. मेरे दोस्तों ने इसमें मेरी मदद की. कैमरे और लैंस का उपयोग करने से, मुझे तस्वीर को बेहतर ढंग से देखने में मदद मिली."

मोहित एक  दृष्टिबाधित छात्र हैं, "मुझे जन्म से ही एक आँख से बिल्कुल दिखाई नहीं देता है, और दूसरी आँख में रैटिना व कॉर्निया सम्बन्धी समस्याएँ हैं. यह फ़ोटो खींचने के बाद मेरी आँखे और भी अधिक ख़राब हो गई थीं. यह आख़िरी तस्वीर है जो मैंने उस समय बची हुई दृष्टि के साथ खींची थी.”

मोहित ने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि फ़ोटोग्राफ़ी का शौक मुझे यूनेस्को हाउस तक ले आएगा. इस तरह के मंच लोगों को अपनी क्षमताओं का विकास करने और एक अधिक समान दुनिया के निर्माण में योगदान करने के लिए प्रेरित करते हैं.”

GAPC के इस तीसरे संस्करण में 13 देशों से, विभिन्न प्रकार की 18 विकलांगताओं वाले कुल 320 लोगों ने भाग लिया था. 

इनमें से 23 प्रविष्टियाँ अन्तिम सूची में पहुँचीं. प्रत्येक तस्वीर सहनसक्षमता, दृढ़ संकल्प और रचनात्मकता से परिपूर्ण जीवन की झलक पेश करती है. 

समारोह में मौजूद दक्षिण एशिया के लिए यूनेस्को क्षेत्रीय कार्यालय के निदेशक टिम कर्टिस का कहना है, “इस प्रदर्शनी में प्रस्तुत इन छवियों में क़ैद गहराई और भावनाओं ने मुझे आश्यर्यचकित कर दिया, प्रत्येक तस्वीर एक कहानी कहती है - मानवीय भावना की विजय की कहानी."

"कुछ तस्वीरें अद्वितीय सांस्कृतिक एवं भौगोलिक सन्दर्भ दर्शाती हैं, जबकि अन्य तस्वीरें विकलांगता तथा क्षमता को लेकर व्याप्त पूर्वाग्रहों को चुनौती देती हैं. ये तस्वीरें सामूहिक रूप से हमें याद दिलाती हैं कि रचनात्मकता की कोई सीमा नहीं है, और सभी लोग, अपने दृष्टिकोण को साझा करने के लिए एक मंच पाने के हक़दार हैं.”

पुरस्कार समारोह में भाग लेने आए, ग्लोबल एबिलिटी फ़ोटोग्राफ़ी चुनौती के विेजेता.
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लक्ष्य और उपलब्धि

इस फ़ोटोग्राफ़ी चुनौती का मुख्य लक्ष्य विकलांग लोगों और उनकी कहानियों का जश्न मनाने वाली प्रविष्टियों को बढ़ावा देकर समाज को विकलांग व्यक्तियों को एक नई रौशनी में देखने के लिए प्रोत्साहित करना था.

इसके लिए यूथ4जॉब्स टीम ने फ़ोटोग्राफ़ी सीखने के इच्छुक विकलांग व्यक्तियों के लिए पेशेवर फ़ोटोग्राफ़रों के साथ कार्यशालाएँ आयोजित कीं. दूरदराज़ के इलाक़ों में मोबाइल फ़ोटोग्राफ़ी तकनीकों पर बल दिया गया. 

बौद्धिक विकलांगता से पीड़ित एक अन्य पुरस्कार विजेता, यादागिरी नितिन ने बताया कि एक पुराने पेड़ पर बैठे रंग-बिरंगे तोते की तस्वीर दरअसल उन्होंने अपने फ़ोन से खींची. 

हैदराबाद में शुरू हुई GAPC पहल, एक वैश्विक कार्यक्रम का रूप ले चुकी है. पूर्व विजेता अन्तरराष्ट्रीय पहचान पाने में कामयाब हुए हैं. इस आयोजन के पहले वर्ष में पुरस्कार विजेताओं में से एक को, ऑस्ट्रिया में एक फ़ोटो कार्यशाला में भाग लेने का अवसर मिला. 

दूसरे वर्ष में  इस पहल ने वैश्विक रूप लिया और दुनियाभर के विकलांगजन ने इसमें भाग लिया. 

2024 में एक सम्मेलन के दौरान, पूर्व विजेता श्रीवत्सन की कलाकृति, एस्सल फाउंडेशन ने ख़रीदी.

समारोह में मौजूद भारत सरकार में विकलांग के सशक्तिकरण विभाग में सचिव राजेश अग्रवाल ने प्रतिभागियों की सराहना करते हुए कहा, “जब लोग अनगिनत चुनौतियों के बावजूद इतना कुछ हासिल कर सकते हैं और ख़ुश रह सकते हैं, तो यह दूसरों को प्रेरित करता है. ये प्रयास शान्ति, उद्देश्य, और सार्थक रोज़गार के अवसर प्रदान करते हैं.”

वहीं भारत में यूएन रैज़िडैंट कोऑर्डिनेटर कार्यालय में चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ राधिका कौल बत्रा ने सभी को याद दिलाया, “आज जब हम विकलांग युवाओं की असाधारण उपलब्धियों का जश्न मना रहे हैं, तो हमें यह समझने की भी आवश्यकता है कि एक न्यायपूर्ण व समावेशी दुनिया बनाने के लिए अभी बहुत काम करना बाक़ी है.”

प्रतियोगिता में भाग लेने वाले विकलांग फो़टोग्राफरों ने अपनी बेहतरीन तस्वीरों के ज़रिए अपने विभिन्न दृष्टिकोण साझा किए.
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