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24 वर्षीय ज़ैनाबा महर औवाद, जिबूती की निवासी हैं. उस समय उनकी उम्र महज़ 10 साल जब वो महिला ख़तना की शिकार हुई थीं.

‘उसके पास सिरींज, उस्तरा और पट्टियाँ थीं: महिला ख़तना की पीड़ा

© Neuvième-UNFPA Djibouti
24 वर्षीय ज़ैनाबा महर औवाद, जिबूती की निवासी हैं. उस समय उनकी उम्र महज़ 10 साल जब वो महिला ख़तना की शिकार हुई थीं.

‘उसके पास सिरींज, उस्तरा और पट्टियाँ थीं: महिला ख़तना की पीड़ा

स्वास्थ्य

90 से अधिक देशों में लगभग 23 करोड़ लड़कियाँ, ख़ासतौर पर अफ़्रीका और एशिया में, महिला जननांग विकृति (FGM) की शिकार हुई हैं. यह एक दर्दनाक प्रक्रिया है जो उन्हें जीवन भर के शारीरिकभावनात्मक और मानसिक घाव दे सकती है. संयुक्त राष्ट्र की यौन व प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी (UNFPA) इस मुद्दे से निपटने के लिए अमेरिका समेत समस्त अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम कर रही है.

24 वर्षीय ज़ैनाबा महर औवाद, जिबूती की निवासी हैं. उस समय उनकी आयु महज़ 10 साल थी जब उनके घर एक अनजान महिला आई थी. ज़ैनाबा उस दिन को याद करते हुए बताती हैं कि उस महिला के पास एक सिरींज, उस्तरा और पट्टियाँ थीं.

वह महिला, ज़ैनाबा पर एक क्रूर, अनावश्यक प्रक्रिया को अंजाम देने आई थी, जिसे 1995 से हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका में अवैध क़रार दिया जा चुका है. 

यह प्रक्रिया है - महिला ख़तना या महिला जननांग विकृति (FGM). इसमें लड़की या महिला की योनि के कुछ ऊपरी या बाहरी हिस्से को काटकर अलग कर दिया जाता है.

ज़ैनाबा के ज़ेहन में उस दर्दनाक अनुभव का अहसास आज भी है. हालाँकि वो उस दिन की बहुत सी बातें भूल चुकी हैं, लेकिन उन्हें वो असहनीय दर्द अब भी याद है जो बेहोशी (सुन्न करने वाली दवा) की दवा का असर ख़त्म होने के बाद महसूस हुआ था.

चलना भी मुश्किल था

ज़ैनाबा महर अवाद, आज भी वो दिन याद कर सिहर उठती हैं, जब उन्हें ख़तना की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ा था.
© Neuvième-UNFPA Djibouti
ज़ैनाबा महर अवाद, आज भी वो दिन याद कर सिहर उठती हैं, जब उन्हें ख़तना की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ा था.

ज़ैनाबा बताती हैं, “मुझे चलने में कठिनाई हो रही थी, और जब मैंने पेशाब किया तो बहुत जलन हुई.”

उनकी माँ ने कहा कि इसमें चिन्ता करने की कोई बात नहीं और इस अपमानजनक प्रक्रिया को एक मामूली बात बताते हुए, परम्परा का एक हिस्सा बताया.

ज़ैनाबा भी उन लाखों लड़कियों में से एक थीं, जो ग़रीबी और सामाजिक असुरक्षा में पली-बढ़ीं. वे जिबूती सिटी के एक जर्जर इलाक़े में अपनी माँ और दो बहनों के साथ एक छोटे से कमरे में रहती थीं.

वो याद करते हुए बताती हैं, “हमारे पास केवल एक टीवी था, कपड़े रखने के लिए कुछ सूटकेस और सोने के लिए कुछ बिस्तर.”

उनकी माँ सड़क किनारे रोटी बेचकर गुज़ारा चलाती थीं. वहीं ज़ैनाबा अपने दोस्तों के साथ रस्सी कूदने और मिट्टी में खेलने में मग्न रहती थीं. “हम बस मिट्टी में खेलते रहते थे.”

23 करोड़ लड़कियों का ख़तना

संयुक्त राष्ट्र की यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी (UNFPA) के आँकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में 23 करोड़ महिलाएँ और लड़कियाँ ख़तना की शिकार हुई हैं. 

यह संख्या लगातार बढ़ रही है. कई बार पाँच साल से भी कम उम्र की छोटी बच्चियों को भी इससे गुज़रना पड़ रहा है.

UNFPA में FGM विशेषज्ञ डॉक्टर विसाल अहमद ने कहा, “बच्चे तो बोल भी नहीं सकते हैं.”

अक्सर ऐसा माना जाता है कि ख़तना केवल एक बार की जाने वाली प्रक्रिया है, लेकिन वास्तव में यह महिलाओं के लिए आजीवन दर्द भरी प्रक्रियाओं का सिलसिला बन जाती है.

डॉक्टर विसाल अहमद समझाते हैं, “महिला के जननांग को यौन सम्बन्ध बनाने के लिए दोबारा काटा जाता है, और फिर से सिला जाता है. फिर बच्चे के जन्म के लिए जननांग को खोला जाता है और बाद में फिर से योनि का छिद्र संकरा करने के लिए सिल दिया जाता है.”

हानिकारक परम्पराओं के ख़ात्मे के प्रयास

UNFPA और उसके अन्तरराष्ट्रीय साझीदार, महिला ख़तना को पूरी तरह ख़त्म करने के लिए निरन्तर कार्रवाई कर रहे हैं. 

बीते 30 वर्षों में इस प्रक्रिया की दर में कमी आई है, लेकिन जनसंख्या वृद्धि के कारण ख़तना झेलने वाली महिलाओं और लड़कियों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

जिन समुदायों में यह प्रथा अब भी जारी है, UNFPA उनके साथ काम करते हुए, लोगों को इसके तात्कालिक व दीर्घकालिक दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने में लगा है.

महिला ख़तना (FGM) को अमेरिकी सरकार ने मानवाधिकारों का उल्लंघन माना है. अमेरिकी सरकार कई वर्षों से सरकार, यूएन यौन एवं प्रजनन एजेंसी को दुनिया भर में इस प्रथा की रोकथाम के लिए कार्रवाई में सहयोग दे रही है.

यह समस्या केवल विकासशील देशों तक सीमित नहीं है. अमेरिकी विदेश विभाग के आँकड़ों के अनुसार, अमेरिका में ही लगभग 5 लाख 13 हज़ार महिलाएँ और लड़कियाँ, या तो इस प्रक्रिया से गुज़र चुकी हैं या इसके ख़तरे में हैं.

पुरुषों का समर्थन

मोगादिशु के बाहरी इलाक़े में आन्तरिक रूप से विस्थापित लोगों के शिविर में डॉक्टर शोएब, महिला जननांग विकृति के ख़िलाफ़ जागरूकता अभियान के दौरान, महिलाओं के रक्तचाप की जाँच करते हैं तथा उन्हें शैक्षिक सामग्री बाँटते हैं.
© UNFPA/ROAS/Aisha Zubair

वर्ष 2023 में, अमेरिका ने जिबूती को क़रीब 4 करोड़ 40 लाख डॉलर की विदेशी सहायता प्रदान की.

संयुक्त राष्ट्र की यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी (UNFPA) ने पुष्टि की कि अमेरिका द्वारा समर्थित FGM कार्यक्रमों पर वर्तमान नीतिगत प्रतिबन्धों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. 

UNFPA ने यह भी बताया कि पिछले चार वर्षों में अमेरिका के सहयोग से करीब 80 हज़ार लड़कियों को ख़तना से बचाया गया है.

स्थानीय नैटवर्क

महिला ख़तना से बचकर निकली, ज़ैनाबा महर औवाद, UNFPA द्वारा 2021 में शुरू किए गए एक स्थानीय नैटवर्क के साथ स्वेच्छाकर्मी के रूप में जुड़ गई हैं. 

इस इस नैटवर्क में 60 से अधिक महिलाएँ शामिल हैं, जो स्थानीय स्तर पर महिला स्वास्थ्य एवं अधिकारों के लिए काम करती हैं.

ज़ैनाबा, जिबूती के वंचित इलाक़ों में जाकर, युवाओं एवं भावी माता-पिताओं को महिला ख़तना के ख़तरों से अवगत कराती हैं — फिर चाहे वो महिलाएँ हों या पुरुष.

वो कहती है, “क्योंकि केवल महिलाएँ ही इस प्रथा में शामिल नहीं हैं. जब तक पुरुष इसकी अनुमति न दें, यह प्रथा जारी नहीं रह सकती.”