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बांग्लादेश में तूफ़ान से रक्षा के लिए, ईंट के पक्के घर बनाए जा रहे हैं.

बांग्लादेश: ईंट के पक्के घरों के सहारे, तूफ़ानों से रक्षा पक्की करने की कोशिश

© BRAC/Fahad Kaizer
बांग्लादेश में तूफ़ान से रक्षा के लिए, ईंट के पक्के घर बनाए जा रहे हैं.

बांग्लादेश: ईंट के पक्के घरों के सहारे, तूफ़ानों से रक्षा पक्की करने की कोशिश

जलवायु और पर्यावरण

बांग्लादेश ने हाल ही में भयंकर बाढ़ का क़हर झेला. ऐसे में, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और सहयोगियों ने, जल सम्बन्धी आपदाओं से निपटने में समुदायों की मदद करने के लिए, बाढ़ के झटकों को सहन करने में मज़बूत घर बनाने की एक पायलट परियोजना शुरू की है. ये घर बनाने के लिए पक्की ईंटों का इस्तेमाल किया जाता है.

प्रोवा मृधा को 2007 में आया चक्रवात सिद्र आज भी याद है, जिससे बांग्लादेश में भारी तबाही हुई थी. एक बच्चे की माँ मृधा ने, तूफ़ान से बचने के लिए अपने मवेशियों को छोड़कर, एक स्थानीय स्कूल में शरण ली थी, जिसे उस समय अस्थाई आश्रय में बदल दिया गया था. 

वो बताती हैं कि जब वो घर लौटीं, तो उन्होंने देखा कि उनके मवेशी या तो मर गए थे या बाढ़ के पानी में बह गए थे.

मृधा, जॉयखा गाँव की निवासी हैं. बन्दरगाह के क़रीब स्थित मोंगला उपज़िला का यह इलाक़ा, चक्रवातों और बढ़ते समुद्री जल स्तर के कारण तेज़ी से जलवायु परिवर्तन के ख़तरे में पड़ता जा रहा है.

बांग्लादेश में इस तरह के हालात सामान्य हैं. देश की 17 करोड़ 40 लाख आबादी में से, 80 प्रतिशत से अधिक लोग, बाढ़ गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा में रहते हैं. 

इनमें से बहुत से लोग समुद्र तल से 2 मीटर से भी कम ऊँचाई वाली भूमि पर बसे हैं, जिससे वे, चक्रवातों और तूफ़ानी लहरों की तबाही के जोखिम में हैं.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और सहयोगियों ने इन जोखिमों के मद्देनज़र, जलीय आपदाओं से निपटने में समुदायों की मदद करने के लिए, पूरे देश में ऐसे घरों के निर्माण की एक परियोजना शुरू की है जो इस तरह की जलवायु आपदाओं के झटके सहन कर सकते हैं. 

UNEP के कोपेनहेगन जलवायु केन्द्र और अन्तरराष्ट्रीय विकास संगठन BRAC के सहयोग से अब तक, 37 घरों का निर्माण पूरा किया जा चुका है. 

इन्हीं में से एक घर प्रोवा मृधा का भी है. 

लगभग 12 हज़ार अमेरिकी डॉलर की लागत वाला यह घर, बाढ़ से बचने के लिए ऊँचे मंच पर बनाया गया है और यह चक्रवात की तेज़ हवाओं को सहन करने में सक्षम है. 

अपने नए घर के सामने खड़ी, प्रोवा मृधा (बाएँ). इस घर को बनाने में 12,000 अमेरिकी डॉलर की लागत लगी है.
© BRAC/Fahad Kaizer

इसमें सुरक्षित पेयजल के लिए वर्षा जल संचयन प्रणाली, बिजली आपूर्ति के लिए छत पर सोलर पैनल और अन्दर एक मवेशी शाला भी है. यह घर आपातकालीन आश्रय के रूप में भी काम करता है और इसमें 40 लोगों तक के ठहरने की सुविधा है.

BRAC के जलवायु परिवर्तन निदेशक मुहम्मद लियाक़त अली बताते हैं कि यह आश्रयस्थल लोगों के घरों में ही बनाए गए होते हैं. ऐसे में, जब सड़कें बाढ़ में डूब जाती हैं या अवरुद्ध हो जाती हैं, तो बुज़ुर्गों, छोटे बच्चों या मवेशियों के साथ मीलों दूर जाने का जोखिम नहीं उठाना पड़ता.

जलवायु परिवर्तन का ख़तरा बिल्कुल अभी

UNEP की अनुकूलन और सहनसक्षम शाखा की प्रमुख मिरेय अतल्लाह कहती हैं कि बांग्लादेश में, इस तरह के घर होना बेहद ज़रूरी हैं, जहाँ 2025 तक 7 हज़ार से अधिक चक्रवात आश्रयों की ज़रूरत होने का अनुमान है, 

मुहम्मद लियाक़त अली के अनुसार, बांग्लादेश और कई अन्य विकासशील देशों के लिए जलवायु परिवर्तन कोई भविष्य का ख़तरा नहीं है – वो बिल्कुल अभी, वर्तमान में उससे जूझ रहे हैं. 

"अगर हमें कठिनाई से अर्जित दशकों की प्रगति बचानी है, तो दुनिया को जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के अपने प्रयास बड़े पैमाने पर बढ़ाने होंगे."

यूनेप के सहयोग से बनाए गए घरों में से एक में, 2024 में बांग्लादेश में आए चक्रवात रेमल के दौरान ग्रामीणों ने आश्रय लिया था.
© BRAC/Fahad Kaizer

UNEP की अनुकूलन अन्तराल रिपोर्ट 2024 के अनुसार, विकासशील देशों के पास जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता का केवल एक छोटा हिस्सा ही उपलब्ध है. 

जलवायु परिवर्तन, तापलहरों, बढ़ते समुद्री स्तर, और अधिक बार तथा अधिक तीव्रता से आने वाले तूफ़ानों के लिए ज़िम्मेदार है.  

हाल ही में अज़रबैजान में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में देशों ने विकासशील देशों की जलवायु अनुकूलन क्षमता बढ़ाने के लिए, हर साल 300 अरब अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता देने पर सहमति जताई.

कई बार जलवायु वित्त को लेकर होने वाली चर्चाएँ बेहद जटिल लग सकती हैं. लेकिन इस वित्तीय मदद का असली मतलब यह है कि इससे स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिक जलवायु-सहनसक्षम घर बनाए जा सकते हैं.

वर्तमान में लगभग 190 लोग इन तूफ़ान-प्रतिरोधी घरों में रह रहे हैं. ये इमारतें छह ज़िलों में फैली हुई हैं और 2024 में बांग्लादेश में भयंकर बारिश का क़हर ढाने वाले चक्रवात रीमल के दौरान, इसमें 1,000 लोगों को आश्रय दिया गया था.

इस तूफ़ान के दौरान, मृधा और उनके कई पड़ोसियों ने उनके घर में शरण ली हुई थी. वो बताती हैं कि जो तबाही मैंने उस समय देखी, वैसी पहले कभी नहीं देखी थी.

लेकिन यह इमारत, जिसने मृधा के मवेशियों और मुर्गियों के साथ-साथ उनके पड़ोसियों के पशुओं को भी सुरक्षित रखा, मज़बूती से खड़ी रही.

उन्होंने कहा कि सबसे अच्छी बात यह थी कि मैं अपने पड़ोसियों को शरण दे पाई. इस घर के साथ अब मैं सुरक्षित महसूस करती हूँ.

यह बांग्लादेश में हाल ही में निर्मित 37 घरों में से एक है, जो चक्रवात के समय चलने वाली तेज़ हवाओं का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
© BRAC/Fahad Kaizer

समाधान के लिए क्षेत्रवार रणनीति

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), पेरिस समझौते के लक्ष्य का समर्थन करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, जिसका उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को 2°C से नीचे और आदर्श रूप से 1.5°C तक सीमित रखना है. 

इसे हासिल करने के लिए, UNEP ने क्षेत्रवार समाधान विकसित किए हैं — एक ऐसा रोडमैप, जो पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं के अनुरूप उत्सर्जन घटाने और जलवायु स्थिरता को बनाए रखने पर केन्द्रित है.

इस योजना में छह प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं:

  1. ऊर्जा
  2. उद्योग
  3. कृषि और खाद्य
  4. वन और भूमि उपयोग
  5. परिवहन
  6. भवन और शहर