वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

मद्धिम रौशनी में झिलमिलाते सपने – STEM में महिलाओं व लड़कियों की बढ़त

ज्योति इलैक्ट्रिक सर्किट का काम समझ रही हैं.
UN Women
ज्योति इलैक्ट्रिक सर्किट का काम समझ रही हैं.

मद्धिम रौशनी में झिलमिलाते सपने – STEM में महिलाओं व लड़कियों की बढ़त

महिलाएँ

भारत में UN Women संस्था, विज्ञानप्रौद्योगिकीइंजीनियरिंगगणित (STEM) की शिक्षा में महिलाओं की मौजूदगी बढ़ाने और उच्च विकास वाले STEM करियर में लैंगिक अन्तर पाटने के लिए प्रयास कर रही है. इसके लिए WeSTEM नामक एक पहल चलाई जा रही है जिसका लक्ष्य मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों की 2 हज़ार  युवा महिलाओं को उच्च विकास वाले STEM करियर में काम करने के कौशल से सुसज्जित करना है.

18 वर्षीय याचना ठाकुर, कॉलेज जाने के लिए तैयारी करते हुए बताती हैं, “मैं एक ऐथिकल हैकर बनना चाहती हूँ.”

वह साइकिल से अपने गाँव, पीपरपानी से 6 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के ही मंडला ज़िले में स्थित सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) जाती हैं. यहाँ वो कम्प्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामिंग असिस्टेंट (COPA) में सर्टिफ़िकेट कोर्स के लिए प्रशिक्षण हासिल कर रही हैं.

उनके किसान पिता ने, आने-जाने में सुविधा के लिए, उन्हें साइकिल उपहार में दी है. अपने पिता के प्रोत्साहन पर ही उन्होंने अपनी वरिष्ठ माध्यमिक कक्षाओं में विज्ञान विषय का चयन किया और फिर कम्प्यूटर कोडिंग सीखने का रुख़ किया.

याचना ठाकुर, उन 108 छात्राओं में से एक है, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महिला संस्थान UN Women के WeSTEM पाठयक्रम में दाख़िला लिया है. 

यह परियोजना, स्थानीय ग़ैर-सरकारी संस्था, Head Held High चला रही है. इस कार्यक्रम के तहत, उन्हें समय प्रबन्धन, बातचीत, बायोडेटा बनाना और Gmail  LinkedIn जैसे पेशेवर ऑनलाइन मंचों का उपयोग करना सिखाए गए हैं.

याचना बताती हैं, “WeSTEM की कक्षाओं ने मेरे समय प्रबन्धन में बहुत सुधार किया है. अब मैं आसानी से खेत का काम, घर का काम और ITI की पढ़ाई सन्तुलित ढंग से कर पाती हूँ.” 

याचना अपने कमरे में एक बल्ब की रौशनी में, देर रात तक अपनी किताबों में सिर गढ़ाए पढ़ती रहती हैं.

याचना के गाँव में बहुत कम ही लड़कियाँ दूर-दराज़ के शहरों में जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करती हैं या फिर करियर बनाती हैं. हालाँकि, WeSTEM के रोज़गार-तैयारी प्रशिक्षण और रोज़गार खोज अभियान के तहत, याचना जैसी कई लड़कियों के लिए विस्तृत अवसर प्रस्तुत किए गए हैं.

पिता से उपहार में मिली साइकिल पर STEM विषयों की पढ़ाई के लिए जातीं, याचना.
UN Women

परिवार का समर्थन

याचना के पिता बजरंग ठाकुर बताते हैं, “मेरी सबसे बड़ी बेटी जबलपुर में कॉमर्स में स्नातक कर रही है, और मुझे ख़ुशी है कि याचना को अहमदाबाद में रोज़गार मिल गया है. मेरा एक बेटा है जो 10वीं कक्षा में पढ़ता है."

"मैं चाहता हूँ कि मेरे सभी बच्चे पढ़ाई में उत्कृष्टता हासिल करें, अच्छा रोज़गार हासिल करें और देश के विकास में योगदान दें.'' 

वह कहते हैं कि अगर उनके पास संसाधन होते तो वह याचना को साइकिल की जगह स्कूटर दिलाते.

याचना की चचेरी बहन दीपिका ITI से COPA की छात्रा और WeSTEM प्रतिभागी भी हैं. वह रोज़गार के लिए दिए साक्षात्कार में अपने नवीन आत्मविश्वास का श्रेय इसी पाठ्यक्रम को देती हैं. 

दीपिका कहती हैं, "हालाँकि मैं रोज़गार के लिए होने वाले साक्षात्कार से पहले घबराई हुई थी, लेकिन WeSTEM पाठ्यक्रम के दौरान प्राप्त SWOT विश्लेषण और कौशल प्रशिक्षण ने मुझमें नया आत्मविश्वास जगाया."

वो बताती हैं “जब हमारे परिवारों ने हमारे रोज़गार के प्रस्ताव पत्र देखे तो वे बहुत ख़ुश हुए. बाहर जाकर किसी अन्य शहर में काम करने वाले हम, अपने परिवार के पहले व्यक्ति होंगे.'' 

दीपिका जल्द ही, अपने घर से करीब 550 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के शहर देवास में एक कम्पनी में काम करेंगी.

वहीं याचना बताती हैं, “मुझे अब तक दो प्रस्ताव पत्र (ऑफ़र लेटर) मिले हैं. मैं उस कम्पनी को चुनूंगी जो ऐथिकल हैकर बनने के मेरे सपने को पूरा करने के लिए सबसे उपयुक्त हो.''

नए आत्मविश्वास से भरी, ज्योति.
UN Women

अनिच्छा से संकल्प तक 

मंडला ज़िले की ही ज्योति झारिया हँसते हुए बताती हैं, "शुरुआत में, WeSTEM की कक्षाएँ मुझे बहुत नीरस लगती थीं. हमारे शिक्षक कक्षा में उपस्थिति पर ज़ोर देते थे और कक्षा में नहीं आने के लिए हमें कभी-कभी डाँट भी पड़ जाती थी."

याचना की ही तरह ITI में कम्प्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामिंग असिस्टेंट (COPA) सर्टिफ़िकेट कोर्स की छात्रा ज़्योति को इस कार्यक्रम का महत्व तब समझ आया, जब वो इसमें नियमित रूप से जाने लगीं, “मेरा आत्मविश्वास बढ़ने लगा. हमारे शिक्षक ने हमें अपनी ताक़त पहचानकर, उसे बढ़ाने में मदद की.'' 

इन कक्षाओं से हासिल कौशल तब अमूल्य साबित हुए जब ज्योति और उनके सहपाठियों ने WeSTEM कार्यक्रम के तहत आयोजित एक रोज़गार मेले में भाग लिया. 

“मैं जाना नहीं चाहती थी. लेकिन मैंने सोचा कि डाँट खाने से बेहतर होगा कि मैं चली जाऊँ.” फिर एक साक्षात्कार के बाद उन्हें गुजरात स्थित एक कम्पनी में कामकाज का प्रस्ताव मिला. 

जब अपना प्रस्ताव पत्र लेने के लिए उन्हें एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भोपाल जाना पड़ा, जहाँ उनकी मुलाक़ात आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की सफल महिलाओं से हुई, जिन्होंने शून्य से व्यवसाय शुरू करने और चुनौतियों पर क़ाबू पाने की अपनी कहानियाँ उनके साथ साझा कीं.

घर से दूर ज्योति की इस पहली यात्रा ने उनके जीवन को नई दिशा दी. भोपाल में उनकी कई अहम अधिकारियों से भेंट हुई. साथ ही, प्रस्ताव पत्र मिला, जिसमें उन्हें 16 हज़ार रूपए के वेतन का प्रस्ताव था. 

हालाँकि पारिवारिक ज़िम्मेदारियों ने ज्योति को गुजरात में रोज़गार स्वीकार करने से रोक दिया, लेकिन WeSTEM के अपने अनुभवों के ज़रिए उन्होंने रक्षा बलों में शामिल होने की अपनी महत्वाकाँक्षा को आगे बढ़ाया है. 

ज्योति, अपने पिता के दोस्त, एक सेना अधिकारी से प्रेरित होकर, एक दिन ख़ुद वर्दी पहनने का सपना देख रही हैं. 

वो आगामी सत्र में संयुक्त रक्षा सेवा (CDS) परीक्षा समेत अधिकारी स्तर की परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं.

UN Women के WeSTEM कार्यक्रम के तहत, लड़कियों को समय प्रबंधन, बातचीत, बायोडेटा बनाना और Gmail और LinkedIn जैसे पेशेवर ऑनलाइन मंचों का उपयोग करना सिखाया जाता है.
UN Women

WeSTEM परियोजना का प्रभाव

यूएन वीमेन के WeSTEM कार्यक्रम के तहत याचना और ज्योति जैसी 450 से अधिक छात्राओं को करियर परामर्श का लाभ मिल चुका है. इसके अलावा 190 प्रशिक्षकों को POSH (यौन उत्पीड़न रोकथाम) कार्यशालाओं का प्रशिक्षण भी दिया गया है.

सरकारी महिला ITI, छिन्दवाड़ा की प्रतिभागी दिशा वर्मा ने WeSTEM कार्यक्रम के असर पर कहा, “इस कार्यक्रम के ज़रिए मैंने न केवल तकनीकी कौशल सीखे, बल्कि मैं आत्मनिर्भर भी बनी."

"प्रशिक्षण सत्रों और करियर परामर्श से मेरे करियर लक्ष्य स्पष्ट हुए. रेमंड लिमिटेड कम्पनी का दौरा करने से मुझे वास्तविक उद्योग जगत का अनुभव मिला और जॉब फेयर में भाग लेने से मेरे लिए नए अवसर खुले.”

अभिभावकों ने भी इस पहल के महत्व को पहचाना है. बाली कनोजकर, जिनकी बेटी WeSTEM कार्यक्रम का हिस्सा है, उन्होंने इस परियोजना के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा, “यह कार्यक्रम मेरी बेटी के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है. अब उसे रोज़गार के अवसर मिल रहे हैं और वह आत्मनिर्भर बनने की राह पर अग्रसर है. इस पहल से उसके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है.”

बालाघाट के सरकारी आईटीआई की प्रतिभागी मोनिका वाशनिक ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “WeSTEM कार्यक्रम के तहत मुझे जो प्रशिक्षण मिला, वह मेरे लिए एक अदभुत अनुभव था. 122 घंटे का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, अब मैं उद्योग में काम करने के लिए पूरी तरह तैयार हूँ.”

शिक्षक भी छात्रों पर इसके प्रभाव को स्वीकार कर रहे हैं. सरकारी पॉलिटैकनिक मंडल के प्रशिक्षक, अरविन्द गुप्ता ने कहा, “WeSTEM कार्यक्रम ने हमारे छात्रों को वास्तविक उद्योग कौशल से सशक्त कर दिया है और करियर परामर्श प्रदान करके उनकी शिक्षा को एक नई दिशा दी है.”

इस पहल के तहत, 23 ITI संस्थानों और 7 पॉलिटेक्निक कॉलेजों से 2 हज़ार 127 से अधिक युवा महिलाओं का नामांकन किया जा चुका है. 

122 घंटे के उनके प्रशिक्षण के दौरान उन्हें 21वीं सदी के रोज़गार कौशल, STEM शिक्षा एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है. 

अब तक, 926 से अधिक उम्मीदवारों को प्रतिष्ठित कम्पनियों में रोज़गार नियुक्ति मिल चुकी है, जहाँ वो साढ़े 10 रुपए से लेकर 22 हज़ार रुपए तक के वेतनमान पर कार्यरत हैं. औसत वेतन 13 हज़ार प्रतिमाह है.