'सौर महाशक्ति' भारत से, मज़बूत जलवायु योजना बनाने की पुकार
संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष जलवायु अधिकारी साइमन स्टील का कहना है कि भारत, स्वच्छ ऊर्जा की ओर वैश्विक बदलाव का लाभ उठाने के लिए विशेष स्थिति में है. उन्होंने, इस सप्ताह भारत में एक सम्मेलन में शिरकत करते हुए, भारत से अधिक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय जलवायु योजनाएँ प्रस्तुत करने का आग्रह किया.
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन ढाँचा संगठन – UNFCCC के कार्यकारी सचिव साइमन स्टील ने, नई दिल्ली में एक व्यापार सम्मेलन में कहा कि भारत जलवायु ऊर्जा में निवेश से आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए अच्छी स्थिति में है.
उन्होंने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा में निवेश करना "रणनैतिक तौर पर और मुनाफ़े के हिसाब से भी फ़ायदेमन्द" है.
साइमन स्टील ने ख़ास ज़ोर देते हुए कहा कि जलवायु ऊर्जा में निवेश, वर्तमान युग का "सबसे बड़ा आर्थिक और वाणिज्यिक अवसर" है.
उन्होंने कहा, “नवीन व्यवस्था में आगे बढ़कर नेतृत्व करने वाले लोगों को बड़े पैमाने पर लाभ उठाने का मौक़ा मिलता है. जहाँ कुछ सरकारें केवल बातें करती हैं, वहीं भारत आगे बढ़कर कार्रवाई करता है."
"भारत पहले से ही एक सौर महाशक्ति है. यह देश ऐसे केवल चार देशों में से एक है जिन्होंने, 100 गीगावाट से अधिक सौर ऊर्जा उत्पादन स्थापित किया है.”
![भारत में किसान अपनी फ]सलों की सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं. भारत में किसान अपनी फ]सलों की सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Collections/Embargoed/30-11-2023-IWMI-India-solar.jpg/image770x420cropped.jpg)
साइमन स्टील ने, नौवें वार्षिक वैश्विक व्यापार शिखर सम्मेलन में, भारत द्वारा स्वच्छ ऊर्जा तक पहुँच बढ़ाने एवं नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए क़दमों का, विस्तार से ज़िक्र किया.
उन्होंने कहा, “यह अगला क़दम उठाने का सही अवसर है, जिससे भारत के एक अरब 40 करोड़ लोगों एवं अर्थव्यवस्था को विशाल लाभ हासिल हो सकते हैं. ऐसा करने के लिए एक मज़बूत जलवायु योजना - राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु योगदान (NDC) निर्धारित करने ज़रूरी होंगे.”
ग़ौरतलब है कि पेरिस समझौते के तहत, देशों को राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC) पेश करने होते हैं, जो वैश्विक जलवायु लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाने के लिए उनकी प्रतिबद्धताएँ सुनिश्चित करते हैं.
साइमन स्टील ने कहा कि अतीत में, यह राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC) लगभग पूरी तरह से जीवाश्म ईंधन उत्पादन में कटौती पर केन्द्रित थे.
उन्होंने कहा, “मैं अब यह कह रहा हूँ कि भावी योजनाओं में विशाल विकास सम्भावनाओं पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए. पवन एवं सौर ऊर्जा में वृद्धि, जीवन स्तर में वृद्धि, रोज़गार में वृद्धि.”
उन्होंने कहा, “भारत पहले से ही इस दिशा में मज़बूती से आगे बढ़ रहा है, लेकिन वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा में आ रहे उछाल को बेहतर तरीक़े से अपनाकर, आर्थिक वृद्धि भी तेज़ होगी."
"भारत, पहले ही ऊर्जा तीव्रता में कमी लाते हुए, आर्थिक विकास में वृद्धि लाने का मार्ग प्रशस्त कर चुका है. अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन का निर्माण और स्वच्छ ऊर्जा विकास के लिए प्रभावशाली लक्ष्य निर्धारित करना, इसके अहम उदाहरण हैं.“

साइमन स्टील ने कहा, "अब आपके पास इसे और भी आगे बढ़ाने का मौक़ा है. नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता सैकड़ों गीगावाट दीगर बढ़ाने की महत्वाकाँक्षी योजनाओं को साकार करके. हरित औद्योगीकरण, विकास, विस्तार एवं महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के निर्यात की एक नई लहर का नेतृत्व करके.”
साइमन स्टील ने इस बात पर बल दिया कि देशों को जलवायु के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. साथ ही यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सरकारें, निजी क्षेत्र और व्यापक समाज, शोध, निवेश, शिक्षा, प्रशिक्षण एवं नवाचार पर साथ मिलकर काम करें.”
उन्होंने कहा, “भारत महत्वाकांक्षी, अर्थव्यवस्था-व्यापी जलवायु योजनाओं से मिलने वाले लाभांश को हासिल करने की मज़बूत स्थिति में है. इन योजनाओं में प्रमुख है - प्रधानमंत्री [नरेंद्र] मोदी द्वारा LiFE (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) को प्राथमिकता देना – जिससे संस्थानों, समुदायों एवं लोगों की ताक़त से, पर्यावरण की रक्षा हो सके व एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सके.”
साइमन स्टील ने कहा, “भारत के नेताओं के पास, सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से जुड़ी औद्योगिक रणनीतियों को बढ़ाने का एक रोमांचक अवसर है, जिससे स्वच्छ ऊर्जा एवं उद्योग में, भारत एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित हो. लेकिन इसका विकल्प यानि निष्क्रियता, विशाल स्तर पर मानव एवं आर्थिक विनाश का कारण बनेगा.”
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