वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

बाल विवाह से जुड़े 5 मिथक या भ्रान्तियाँ

बांग्लादेश में, बाल विवाह के विरुद्ध जागरूकता अभियान के लाभ नज़र आ रहे हैं.
© UNFPA Bangladesh/Farjana Sultana
बांग्लादेश में, बाल विवाह के विरुद्ध जागरूकता अभियान के लाभ नज़र आ रहे हैं.

बाल विवाह से जुड़े 5 मिथक या भ्रान्तियाँ

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र की यौन एवं प्रजनन एजेंसी, UNFPA का कहना है कि दुनिया के अनेक क्षेत्रों में, प्रत्येक दिन, औसतन पाँच में से हर एक लड़की का बाल अवस्था में ही विवाह कर दिया जाता है. यह एक ग़ैरक़ानूनी चलन है, जिसकी दुनिया भर में निन्दा होती है, लेकिन फिर भी यह प्रथा वैश्विक स्तर पर फैली हुई है. UNFPA सभी देशों से बाल विवाह के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द करने का आग्रह कर रही है.

रानू चकमा बताती हैं, “14 साल की उम्र में मेरा विवाह कर दिया गया था, और मैंने अपना पहला बच्चा 16 साल की उम्र में गर्भावस्था के दौरान खो दिया था.” 

बांग्लादेश के दक्षिणी तट पर स्थित उनके गाँव टेकनाफ़ उपज़िला में, बाल विवाह ग़ैरकानूनी व मानवाधिकार उल्लंघन होने के बावजूद जारी है. हालाँकि कई देश इस अवैध प्रथा पर प्रतिबन्ध लगा चुके हैं, लेकिन इसका उल्लंघन होना जारी है. कोलम्बिया में भी फ़रवरी (2025) के शुरू में, बाल-विवाह के विरोध में एक क़ानून लागू किया गया है.

बाल विवाह के बारे में पाँच आम भ्रान्तियाँ या मिथक यहाँ प्रस्तुत हैं:

मिथक 1: यह हमेशा ग़ैरक़ानूनी ही होता है

बाल अधिकारों पर कन्वेंशन और महिलाओं के ख़िलाफ़ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन से लेकर 1994 में जनसंख्या और विकास पर अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन कार्यक्रम जैसे अनगिनत अन्तरराष्ट्रीय समझौतों के तहत, बाल विवाह पर प्रतिबन्ध लगाया गया है. फिर भी, दुनिया में 64 करोड़ महिलाएँ व लड़कियाँ ऐसी हैं, जो बाल वधू बनीं थीं. 

अब भी हर दिन बड़ी संख्या में बाल विवाह हो रहे हैं. लेकिन यह कैसे सम्भव है? ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि कई देशों ने सैद्धान्तिक रूप से बाल विवाह पर प्रतिबन्ध तो लगाया है, लेकिन प्रतिबन्ध में, विवाह की स्वीकार्य आयु को 18 वर्ष से अलग परिभाषित कर दिया हैं, या फिर माता-पिता की सहमति से या धार्मिक या प्रथागत क़ानून के तहत अपवाद की अनुमति दे दी गई है. 

कई स्थानों पर, इन विवाहों, और सामान्यत: किसी भी विवाह को क़ानूनी रूप से पंजीकृत करने का प्रावधान नहीं होता, जिससे इस पर नियंत्रण पाने के प्रयासों में, क़ानून को लागू करना मुश्किल हो जाता है. बाल-विवाह से निपटने के लिए क़ानून लागू करने से कुछ अधिक प्रयास व कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है; इस पर पुनर्विचार करने की ज़रूरत है कि समाज लड़कियों को क्या महत्व देता है.

लाली आदिवासी (दाएँ) ने रामकली आदिवासी (बाएँ) का बाल विवाह होने से रोका. दुनिया भर के अनेक देशों में बाल विवाह, अब भी एक बड़ी समस्या है.
Darshna Mahila Kalyan Samiti, India

भारत के बिहार प्रदेश में, पाँच में से दो बच्चों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है, वहाँ तालीम-ए-नौबालिग़ान जैसे कार्यक्रमों का सकारात्मक असर नज़र आ रहा है. ये कार्यक्रम युवजन को लैंगिक भूमिकाओं व मानवाधिकार जैसे विषयों के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. 

अल्तमश एक छात्र हैं, जिनकी बहन छोटी उम्र में अपना विवाह नहीं करके, अपनी शिक्षा जारी रखना चाहती थी. अल्तमश बताते हैं, "इसीलिए मैं अपनी बहन की मदद कर पाया. जब मुझे उसकी इच्छा समझ आई कि इससे उसे किस तरह मदद मिलेगी, तो मैंने अपने पिता से उसकी सिफ़ारिश की. वह अब अपनी शिक्षा पूरी करने जा रही है और मुझे उस पर बहुत गर्व है.”

मिथक 2: कुछ मामलों में, बाल विवाह आवश्यक होता है

कुछ हद तक बाल विवाह की प्रथा इसलिए भी जारी है क्योंकि इसे अन्य समस्याओं के समाधान के रूप में देखा जाता है.

ख़ासतौर पर मानवीय संकटों में, बाल विवाह की दर में अक्सर वृद्धि देखने को मिलती है. माता-पिता का मानना होता ​​​​है कि विवाह से उनकी बेटी का भविष्य सँवर जाएगा, और उसका पति उसकी आर्थिक ज़िम्मेदारी उठाने के साथ-साथ, उसे हिंसा से भी बचाएगा.

बाल विवाह को एक ऐसे समाधान के रूप में भी देखा जाता है जो विवाह के बाद या कई बार पहले गर्भवती होने पर लड़की व उसके परिवार का सम्मान बचाएगा. विकासशील देशों में किशोरों में गर्भावस्था व शिशु जन्म के अधिकांश मामले विवाह के बाद ही होते हैं. लेकिन वास्तव में बाल विवाह इनमें से किसी भी मसले का असल समाधान नहीं है. 

बाल विवाह के कारण ही लड़कियों को अपने अन्तरंग साथियों से उच्च स्तर की यौन, शारीरिक व भावनात्मक हिंसा का सामना करना पड़ता है. फिर छोटी उम्र में गर्भवती होना लड़कियों के स्वास्थ्य लिए ख़तरनाक होता है; गर्भावस्था और प्रसव सम्बन्धी जटिलताएँ किशोरियों की मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हैं. 

मेडागास्कर में, बाल विवाह के ख़िलाफ़ जागरूकता सत्रों से, लोगों के विचारों में बदलाव आ रहा है और अब परिवार, लड़कियों की शिक्षा पर अधिक ध्यान दे रहे हैं.
© UNFPA Madagascar

बाल वधुओं और किशोर माताओं को अक्सर अपनी शिक्षा छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे भविष्य में उनकी प्रगति की सम्भावनाएँ समाप्त हो जाती हैं.मेडागास्कर में 16 साल की निकोलेट, अपने सहपाठियों को शादी और गर्भवती होने के बाद स्कूल से ग़ायब होते देखने की इतनी आदी थी कि उसने कभी इस प्रथा पर सवाल उठाने के बारे में नहीं सोचा. 

लेकिन एक यूएनएफ़पीए समर्थित जागरूकता सत्र में भाग लेने के बाद उनके विचार बदल गए.निकोलेट कहती हैं, "मुझे नहीं मालूम था कि हम भी बाल विवाह के शिकार हो सकते हैं."

वह चाहती है कि उनके समुदाय की सभी लड़कियों को यह जानकारी हो कि “हर किसी को अपनी महत्वाकांक्षाओं को साकार करने का अधिकार है, और शादी करने का निर्णय, आपकी मर्ज़ी पर होना चाहिए."

मिथक 3: यह समस्या दूर हो रही है

बाल विवाह सुनने में भले ही अतीत की या दूर की समस्या लगे, लेकिन वास्तव में यह प्रथा दुनिया भर की लड़कियों के लिए एक गम्भीर ख़तरा बना हुई है. हालाँकि वैश्विक बाल विवाह की दर धीरे-धीरे घट रही है, लेकिन उच्चतम दर वाले स्थानों में जनसंख्या वृद्धि भी सबसे ज़्यादा हो रही है. 

मतलब यह कि इससे बाल विवाह मामलों की कुल संख्या में वृद्धि होने की सम्भावना है. दरअसल समस्या वैश्विक स्तर पर है. बाल वधुओं की सबसे बड़ी संख्या एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में है, बाल विवाह की उच्चतम दर उप-सहारा अफ़्रीका में देखी जाती है. 

लातिन अमेरिका व कैरेबियाई क्षेत्र में कम प्रगति के कारण, इस क्षेत्र में 2030 तक बाल विवाह का इतना विस्तार होने का अनुमान है जो अन्य क्षेत्रों की तुलना में दूसरा सबसे बड़ा होगा.

लेकिन, यह मुद्दा केवल विकासशील देशों तक ही सीमित नहीं है. यह ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में भी व्याप्त है.

सारा तसनीम, 15 साल की उम्र में एक अनौपचारिक आध्यात्मिक मिलन और फिर 16 साल की उम्र में क़ानूनी तौर पर हुई अपनी शादी को याद करते हुए कहती हैं, "एक दिन मुझे सुबह किसी से मिलवाया गया था, और उसी रात जबरन उस व्यक्ति के साथ मेरी शादी कर दी गई. मैं कुछ दिन बाद ही गर्भवती हो गई, और फिर हमने क़ानूनी तौर पर अमेरिका के नेवाडा में शादी कर ली, जहाँ इसके लिए केवल मेरे पिता की हस्ताक्षर की आवश्यकता थी.

"इसे बदलने के लिए, बाल विवाह को ख़त्म करने की कार्रवाई में तेज़ी लानी होगी. इसके लिए ख़ासतौर पर लड़कियों की मज़बूती बेहद ज़रूरी है."

निजेर में रहने वाली 16 वर्षीय हदीज़ा ने बताया, "मैं 13 साल की थी जब मेरे पिता ने मेरा विवाह, मेरे चचा के बेटे के साथ तय कर दिया." 

निजेर में, तीन चौथाई से अधिक लड़कियों की शादी, उनके व्यस्क होने से पहले ही कर दी जाती है.
© UNFPA Niger

सौभाग्य से, उन्हें यूएनएफ़पीए समर्थित युवा कार्यक्रम का साथ मिला और एक सुरक्षित स्थान तक पहुँच हासिल हुई. "मैंने एक सुरक्षित स्थान के संरक्षक से बात की, जिसने पड़ोस में रहने वाले एक मुखिया की मदद से, मेरे माता-पिता को शादी स्थगित करने के लिए मनाया.”

आज हदीज़ा आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए, एक दर्ज़ी के पास सिलाई का काम सीख रही हैं. 

उन्होंने कहा, "अब अगले तीन वर्षों में, मैं उस व्यक्ति से विवाह करूँगी, जिससे मैं प्रेम करती हूँ."

मिथक 4: यह एक सांस्कृतिक या धार्मिक मुद्दा है

बाल विवाह को कभी-कभी ग़लत तरीक़े से, एक अनिवार्य धार्मिक या सांस्कृतिक प्रथा के रूप में पेश किया जाता है. लेकिन, ऐसी कोई धार्मिक परम्पराएँ मौजूद नहीं हैं, जिनके लिए बाल विवाह ज़रूरी हो.

दरअसल दुनिया भर के सांस्कृतिक और धार्मिक नेता अक्सर बाल विवाह के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ अपनाते हैं. ख़ासतौर पर जब उन्हें इस प्रथा के नतीजों से जुड़े सबूत उपलब्ध कराए जाते हैं. 

जॉर्जिया के तिबलिसी में जुमाह मस्जिद के इमाम, शिरख़ान चोबानोफ़ कहते हैं, "हमने हमेशा युवाओं को यही सिखाया है कि बाल विवाह धार्मिक व क़ानूनी रूप से पूरी तरह अनुचित है. हमने उन युवाओं को यह भी समझाया कि परिवार शुरू करने के बारे में सोचने से पहले उन्हें पहले अपनी शिक्षा पूरी करने जैसे अन्य काम पूरे करने ज़रूरी हैं."

UNFPA, दुनिया भर के उन आस्था नेताओं के साथ काम करता है, जो बाल विवाह की समाप्ति के लिए काम कर रहे हैं. इनमें पुजारीभिक्षुननें और इमाम शामिल हैं. इथियोपिया के एक पादरी, गेब्रीगज़ियाभेर टीकू का कहना है, "जहाँ तक ​​बाल विवाह की रोकथाम का सवाल है, हमें अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं."

मिथक 5: यह केवल लड़कियों के साथ होता है 

लड़कों के बीच बाल विवाह की सबसे अधिक दर वाले देश निकारागुआ में, युवाओं की मज़बूती के कार्यक्रमों के ज़रिए, किशोरों तक मानवाधिकारों से जुड़ी जानकारी पहुँचाई जा रही है. 

हालाँकि अधिकांश बाल विवाह लड़कियों के होते हैं, लेकिन कई लड़कों की भी, कम उम्र में ही शादी करवा दी जाती है.2019 के आँकड़ों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर साढ़े 11 करोड़ लड़कों व पुरुषों की शादी, 18 साल की उम्र से पहले हो गई थी. 

यह मुद्दा, जल्दी ही पिता बनने, शिक्षा में बाधा आने और जीवन के अवसर सीमित होने जैसी मुश्किलों से जुड़ा है.फिर भी, असमान रूप से अधिकतर लड़कियाँ ही इस प्रथा से ज़्यादा प्रभावित होती हैं. 

निकारागुआ में, बाल विवाह की दर काफ़ी अधिक है, इसलिए वहाँ युवाओं को जानकारी देने के सत्र चलाए जा रहे हैं
© UNFPA Nicaragua

20 से 24 वर्ष की उम्र की पाँच में से एक युवती की शादी, उसके 18वें जन्मदिन से पहले हो गई थी , जबकि युवा पुरुषों में यह आँकड़ा 30 में से एक का था. जिन देशों में लड़कों के बाल विवाह की दर बहुत कम है, वहाँ भी लड़कियों के बाल विवाह की दर अपेक्षाकृत अधिक देखी गई है.

इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि प्रभावित बच्चे का लिंग क्या है और न ही इससे कि वो किस देश में विवाह के सूत्र में बँध रहे हैं. बाल विवाह एक हानिकारक प्रथा है जिसके मूल कारणों से निपटने की आवश्यकता है. 

इनमें आर्थिक असमानता, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं और सूचना तक सीमित पहुँच तथा संघर्ष जैसे कारक शामिल हैं. लैंगिक असमानता इसके सबसे प्रमुख मूल कारणों में से एक है, और इस पर तत्काल तथा नए सिरे से ध्यान देने की आवश्यकता है.

त्रिनिदाद और टोबैगो में वेस्ट इंडीज़ विश्वविद्यालय में लिंग व विकास अध्ययन संस्थान के निदेशक डॉक्टर गैब्रिएल होसेन कहते हैं, "हमने अलबत्ता, बाल विवाह का उन्मूलन कर दिया है, लेकिन हिंसक पुरुषत्व अब भी ख़त्म नहीं हुआ है." 

पैरोकारी समूह CariMAN के एक कार्यकर्ता, केविन लिवरपूल ने कहा कि इसमें पुरुषों व लड़कों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी.

केविन कहते हैं, "इन समूहों, इन व्यक्तियों के बीच यह जागरूकता बढ़ाना ज़रूरी है कि नारीवाद क्या है, और लैंगिक समानता, क्यों केवल महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि पुरुषों व पूरे समाज के लिए बेहद महत्वपूर्ण है."