सभी भाषाओं की अहमियत समझाती एक बाल पुस्तक
भाषा मनुष्यों की विशिष्टताओं में से एक है. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) द्वारा समर्थित एक नई पुस्तक, बच्चों को भाषा की महत्ता पर विचार करने के लिए प्रेरित कर रही है.
What Makes Us Human, नामक बाल पुस्तक ब्राज़ीलियाई बहुभाषी और लेखक, विक्टर सैंटोस की कृति है, जिसे इतालवी कलाकार अन्ना फोरलाती ने चित्रित किया है.
यह पुस्तक, पहेली के ज़रिए, विश्व भर की सभी भाषाओं के संरक्षण का महत्व उजागर करते हुए, युवा पाठकों को भाषा की अवधारणा से परिचित करवाती है.
पुस्तक की शुरुआत इस वाक्य से होती है, “मैं बहुत लम्बे समय से अस्तित्व में हूँ, खिलौनों, कुत्तों या आपके जानने वाले किसी भी व्यक्ति से अधिक समय से.”
“मेरी जड़ें सदियों पुरानी हैं. कुछ तो इससे भी अधिक प्राचीन हैं. मैं हर जगह मौजूद हूँ, हर देश, हर शहर, हर स्कूल और हर घर में...
भाषाई विविधता संकट में
UNESCO के अनुमान के अनुसार दुनिया भर में लगभग 8 हज़ार 324 बोली जाने वाली या सांकेतिक भाषाएँ मौजूद हैं, जिनमें से लगभग 7 भाषाएँ या बोलियाँ आज भी उपयोग में हैं. अलबत्ता वास्तविकता ये भी है कि भाषाई विविधता तेज़ी से ख़तरे में पड़ रही है, और वैश्वीकरण और सामाजिक बदलावों के कारण कई भाषाएँ विलुप्त होती जा रही हैं.
यूनेस्को, इस सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए, वैश्विक स्तर पर प्रकाशन गृहों के साथ मिलकर What Makes Us Human पुस्तक का अधिकतम भाषाओं में अनुवाद करने की दिशा में काम कर रहा है. इसमें ख़ासतौर पर स्थानीय भाषाओं पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.
उदाहरण के लिए, अब यह पुस्तक मापुज़ुगुन भाषा में उपलब्ध है, जो चिली के मापुचे समुदाय की मूल भाषा है.
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मातृभाषा के प्रति प्रेम
एक पारम्परिक मापुचे शिक्षक नेवेन्का कायुलान ने, अपनी मातृभाषा में इस पुस्तक का अनुवाद किया है. उन्होंने हाल ही में यूएन न्यूज़ को दिए गए एक साक्षात्कार में, मापुज़ुगुन भाषा के प्रति अपने गहरे प्रेम को व्यक्त किया.
उन्होंने मापुचे समुदाय के केन्द्र, अराउकानिया से बात करते हुए कहा, “मेरी माँ ने मुझे यह भाषा सिखाई, और यही कारण है कि यह मेरी त्वचा, मेरे हृदय और मेरे मस्तिष्क में समाई हुई है.”
“जहाँ भी मैं जाती हूँ, इसे हर स्थान पर जीवन्त बनाए रखती हूँ. भाषा ही वह आधार है जो हमारी संस्कृति, आध्यात्मिकता, स्थानीय लोगों के दृष्टिकोण, सम्मान व जीवन के मूल्य को संरक्षित रखती है.”
संयुक्त राष्ट्र, पिछले 25 वर्षों से भाषाई विविधता के संरक्षण और सभी मातृभाषाओं को बढ़ावा देने के महत्व को उजागर करने के लिए 21 फ़रवरी को अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाता है.
सरल शब्दों में, मातृभाषा वह भाषा होती है जिसे लोग, औपचारिक तौर पर पढ़कर नहीं, बल्कि स्वाभाविक रूप से सीखते हैं.
एक जीती-जागती धरोहर
नेवेन्का कायुलान का मानना है कि सभी की ‘मातृभाषा’ एक भाषा मात्र से कहीं अधिक है.
“यह एक जीता-जागता ख़ज़ाना है, और यही वजह है इसे अपनाना, सिखाना और उन शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाना आवश्यक है, जहाँ बच्चे केवल एक भाषा तक सीमित रहते हैं, लेकिन उनके पास स्थानीय समुदायों की संस्कृति के बारे में सीखने की क्षमता होती है.
यही वजह थी कि जब मापुज़ुगुन-स्पेनिश द्विभाषी संस्करण प्रकाशित करने के लिए यूनेस्को के सहयोगी Planeta Sostenible नामक प्रकाशन गृह ने उनसे इसका अनुवाद करने का अनुरोध किया, तो वो "What Makes Us Human"परियोजना में शामिल होने के लिए तुरन्त तैयार हो गईं.
“आख़िरकार, यह केवल अनुवाद की बात नहीं है, बल्कि इसमें पुस्तक की व्याख्या भी अहम हो जाती है. मापुचे भाषा की अनुवादक और व्याख्याकार होने के नाते, मुझमें इस महत्वपूर्ण ग्रन्थ 'What Makes Us Human' को समझने की पूरी जानकारी और क्षमता है.”
“यह मेरे लिए बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि मेरे समुदाय की आवाज़, मेरे पूर्वजों की आवाज़, अब अन्य लोगों, अन्य देशों और अन्य क्षेत्रों तक पहुँचेगी, जो मेरी संस्कृति के बारे में जानेंगे. मेरे लिए, यह एक अविस्मरणीय अनुभव था.”
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उसे बहाल करना, जो पहले से मौजूद है
कायुलान, चिली की व्यस्त राजधानी सैंटियागो में रहती हैं. उनका कहना है कि यह पुस्तक, जीवन की सरल चीज़ों को पहचानने में सक्षम बनाती है.
यह बच्चों के खेलों या खिलौनों की बात करती है, और हम उन्हें कैसे बहाल कर सकते हैं. यह उन खेलों व खिलौनों का महत्व स्थापित करते हैं, जिन्हें अक्सर भुला दिया जाता है.
वैश्वीकरण से पहले, कई चीजें अस्तित्व में थीं, और इसमें पहले से ही मौजूद भाषा का ज्ञान भी शामिल है.
हालाँकि, समय के साथ, बहुत कुछ पीछे छूटता गया.
यह पुस्तक बताती है कि हम पहले से मौजूद चीज़ों को किस तरह पुनः प्राप्त कर सकते हैं, और वैश्वीकरण से पहले के ज्ञान को किस तरह समझ सकते हैं.
यह विशेष रूप से स्थानीय भाषाओं के लिए सच है, “ख़ासतौर पर मापुचे लोगों की भाषा के लिए.”
भाषा हमें मानवीय बनाती है
जब उनसे पूछा गया कि हमें क्या चीज़ें मानव बनाती हैं, तो कायुलान ने सम्मान और भाषाई व क्षेत्रीय पहचान की सराहना करने के मूल्य पर बल दिया.
“हमारे लिए, यह एक जीती-जागती धरोहर है जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाना आवश्यक है. भाषा वह माध्यम है जिससे हम एक-दूसरे से संवाद करते हैं और अपनी संस्कृति को साझा करते हैं. यही कारण है कि इस पुस्तक का सन्देश इतना महत्वपूर्ण है, और यही सन्देश मापुज़ुगुन भाषा में भी दिया गया है.”
What Makes Us Human पुस्तक को चिली में बहुत अच्छी तरह से अपनाया गया है, जहाँ इसे शुरू में उन शहरों में वितरित किया गया जहाँ बच्चे केवल स्पेनिश भाषा बोलते हैं.
“मैं एक कार्यक्रम में गई थी जहाँ कई किताबें बाँटी गईं, और स्वाभाविक रूप से, मैं अपनी मापुचे पारम्परिक पोशाक पहनकर वहाँ पहुँची.”
“तो बच्चों को लगा कि अब मापुचे लोग अस्तित्व में नहीं हैं, उन्हें लगा कि मैं शायद किसी और ग्रह से आई हूँ! उन्होंने बड़े उत्साह के साथ किताबें स्वीकार कीं, मुझे देखकर वो बहुत ख़ुश हुए, और मापुज़ुगुन में अनूदित किताब पाकर उत्साहित हो गए. यह एक बेहद भावनात्मक क्षण था.”
दमन का इतिहास
जब 16वीं सदी में स्पेनिश विजयकर्ता, वर्तमान चिली में पहुँचे, तब मापुज़ुगुन भाषा, एंडीज़ पहाड़ों से शुरू होने वाली चोआपा नदी से लेकर दक्षिण में चिलोए द्वीप तक बोली जाती थी.
उस समय, विभिन्न समूह इस भाषा का उपयोग करते थे. स्पेनिश उपस्थिति के कारण, उन्होंने एकजुट होकर, सम्बन्ध मज़बूत किए, जिससे अन्ततः मापुचे पहचान स्थापित हुई.
मापुचे लोग, चिली की सबसे बड़ी आदिवासी जनजाति हैं, और उनकी संख्या 14 लाख से अधिक है. वे ज़्यादातर, देश के मध्य भाग में रहते हैं, लेकिन अर्जेंटीना के न्युकवेन प्रान्त में भी इनका एक छोटा समूह है. इनमें से अधिकाँश लोग, शहरी क्षेत्रों में निवास करते हैं.
दुर्भाग्य से, लम्बे समय तक चले दमन के कारण आज केवल 10 प्रतिशत मापुचे लोग ही, मापु ज़ुगुन भाषा बोलते हैं, और केवल 10 प्रतिशत लोग इसे समझते हैं.
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संरक्षण और प्रोत्साहन
कायुलान से पूछा गया कि क्या What Makes Us Human पुस्तक बच्चों को मापुज़ुगुन भाषा के प्रति गर्व महसूस कराने में सफल होगी.
उन्होंने कहा, “हाँ, बिल्कुल! क्योंकि यह एक बहुत ही आसान और समझने योग्य पुस्तक है. मुझे लगता है कि ऐसे पाठ्यक्रम तैयार किए जाने चाहिए जो एकभाषी बच्चों के लिए उपयुक्त हों. मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक समाज और नई पीढ़ी पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी.”
उनका मानना है कि अपनी मातृभाषा की रक्षा करना और इसके प्रयोग को बढ़ावा देना उनका कर्तव्य है.
“मेरी ज़िम्मेदारी है कि मैं इस ज्ञान को आगे बढ़ाऊँ. इसी कारण मैंने पारम्परिक शिक्षकों की एक टीम बनाई है, जो शहर में भी मापुज़ुगुन भाषा में बात करने को बढ़ावा देती है, क्योंकि हम सभी सैंटियागो में रहते हैं.”
“लेकिन यहाँ हम उन पारम्परिक शिक्षकों के साथ काम कर रहे हैं, जो फ़िलहाल स्कूलों में शिक्षण कर रहे हैं और शहरी क्षेत्र की विभिन्न नगरपालिकाओं में रहने वाले एकभाषी छात्रों को यह भाषा सिखा रहे हैं.
मेरी दादी आपकी तरह बात करती हैं
कायुलान ने बताया कि मापुज़ुगुन भाषा को पुनर्जीवित करने के प्रयास धीरे-धीरे सकारात्मक परिणाम देने लगे हैं. चिली के शिक्षा मंत्रालय के समर्थन से What Makes Us Human पुस्तक को स्कूलों में वितरित करने में मदद मिल रही है.
1992 से, मापुचे क्षेत्रों में स्थित स्कूलों में मापुज़ुगुन को पाठ्यक्रम के एक हिस्से के रूप में पढ़ाया जा रहा है.
“जब कोई बच्चे, किसी को पारम्परिक कपड़ों या मापुचे गहने पहने हुए देखते हैं, तो उसे अपनी पहचान से जोड़ते हैं. ओह, मेरी दादी आपकी तरह बात करती हैं, या मेरी दादी आपकी तरह कपड़े पहनती हैं, या मेरी चाची… यह बहुत मायने रखता है."
भय और भेदभाव
मापुचे शिक्षिका मानती हैं कि इस प्रगति के बावजूद, चिले के दक्षिणी भाग में अब भी एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ मापुज़ुगुन बोलने की मनाही है.
“आदिवासी होना वहाँ प्रतिबन्धित है; सांस्कृतिक सभाओं पर रोक है. इस ‘रैड ज़ोन’ में यह एक रोज़मर्रा के युद्ध की तरह जारी रहता है.”
कायुलान ने यह भी बताया कि आदिवासी लोगों को अपनी भिन्नता की वजह से भेदभाव का सामना करना पड़ता है.
मैं सैंटियागो में अपने पारम्परिक परिधान में घूमती हूँ, और मुझसे कई बार पूछा गया है, ‘क्या आप उस क्षेत्र से आई हैं जहाँ ट्रक जलाए जाते हैं?’
यह लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है. अगर यह किन्हीं बच्चों से पूछा जाए, जो अभी जीवन की शुरुआत ही कर रहे हैं, तो वे न केवल मापुज़ुगुन बोलने से बचेंगे, बल्कि इसे पहचान भी नहीं पाएंगे."
विविधता का सम्मान
लेकिन What Makes Us Human विविधता के सम्मान को बढ़ावा देती है, जिससे उन्हें उम्मीद मिलती है.
वो कहती हैं, “हमें सभी प्रकार की विविधता का सम्मान करना सीखना चाहिए क्योंकि हम एक विविध दुनिया में रहते हैं, लेकिन आज हम इस विविध दुनिया का सम्मान नहीं करते.”
“और यह विविध दुनिया केवल मनुष्यों से नहीं बनी है, बल्कि हमारे चारों ओर मौजूद हर चीज़ से बनी है, हर वह चीज़ जिसमें जीवन है. इसी विविधता में भाषाएँ भी शामिल हैं.”