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DRC: बुरूंडी पहुँचने वाले विस्थापितों की संख्या बढ़ी, सहायता अपील जारी

डीआरसी में हिंसक टकराव से बचकर भागने वाले क़रीब 71 हज़ार लोगों ने पूर्वी डीआरसी के लुशागाला में शरण ली है.
© UNOCHA/Wassy Kambale
डीआरसी में हिंसक टकराव से बचकर भागने वाले क़रीब 71 हज़ार लोगों ने पूर्वी डीआरसी के लुशागाला में शरण ली है.

DRC: बुरूंडी पहुँचने वाले विस्थापितों की संख्या बढ़ी, सहायता अपील जारी

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में गहराते मानवीय संकट के मद्देनज़र, चार करोड़ डॉलर की मानवीय सहायता धनराशि की अपील जारी की है. बताया गया है कि डीआरसी में संकट का असर पड़ोसी देशों, विशेष रूप से बुरूंडी में हो रहा है, जहाँ हज़ारों लोग वहाँ हताश हालत में शरण लेने के लिए पहुँच रहे हैं.

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्वी हिस्से में एम23 नामक विद्रोही गुट और सरकारी सुरक्षा बलों के बीच लड़ाई हो रही है. इन हालात में फ़रवरी महीने में ही 40 हज़ार से अधिक शरणार्थियों ने बुरूंडी का रुख़ किया है और इस सप्ताह एक दिन में 9 हज़ार लोग वहाँ पहुँचे हैं. 

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अधिकाँश लोग रुसीज़ी नदी को पार करने के लिए जोखिम भरे हालात में कामचलाऊ नावों का सहारा ले रहे हैं, जोकि बुरूंडी, डीआरसी और रवांडा के सीमावर्ती इलाक़े में स्थित है.

बुरूंडी में UNHCR की प्रतिनिधि ब्रिजेट मुकांगा-ऐनो ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि डीआर काँगो में बिगड़ते सुरक्षा हालात का असर बुरुंडी में भी हुआ है.

पिछले कुछ सप्ताह के दौरान, यहाँ बड़ी संख्या में डीआरसी के नागरिक पहुँच रहे हैं.

लड़ाई का दायरा बुरूंडी के साथ लगी आधिकारिक सीमा चौकी के नज़दीक स्थित उवीरा नगर के पास पहुँच रहा है, जिससे हालात बदतरीन हो सकते हैं.

विस्थापित संख्या में वृद्धि

यूएन एजेंसी ने बुरूंडी सरकार के उस निर्णय का स्वागत किया है, जिसके तहत हिंसक टकराव से जान बचाकर भाग रहे लोगों को प्रथम दृष्टया शरणार्थी दर्जा दिया जाएगा. हालांकि शरण तलाश रहे लोगों की संख्या बढ़ते जाने से स्थानीय संसाधनों पर दबाव भी बढ़ रहा है.

UNHCR की प्रतिनिधि ने बताया कि यह पहली बार है जब बुरूंडी में कुछ ही दिनों के भीतर इतनी पड़ी संख्या में लोग पहुँचे हैं. 

“इससे पहले यह अन्तिम बार 2000 के शुरुआती सालों में हुआथा था जब हर किसी ने बोझ का सामना किया, ना केवल सरकार ने बल्कि देश भर में मानवतावादियों ने भी.”

बहुत से लोगों ने कई दिनों की पैदल यात्रा की है. यूएन एजेंसी प्रतिनिधि ने एक महिला के बारे में बताया जिसने अपने बच्चों को साथ लेकर यह यात्रा की, जबकि उनके बच्चों की मौत पहले ही हो चुकी थी.

गम्भीर हालात

बुरूंडी सरकार ने खुले आसमान के नीचे शरणार्थियों को अस्थाई तौर पर ठहराने की व्यवस्था की है, और उन्हें स्कूलों व चर्चों में भी ठहराया गया है. मगर, इन केन्द्रों पर भारी भीड़ है और इनका सीमावर्ती इलाक़ों के नज़दीक स्थित होना ख़तरनाक है.

सरकार ने इन आश्रय स्थलों को अधिक टिकाऊ बनाने के इरादे से भूमि आवंटित की है, मगर फ़िलहाल लोग स्कूलों व स्टेडियम में बिना पर्याप्त शरण व्यवस्था के रहने के लिए मजबूर हैं.

UNHCR कर्मचारी ज़मीन पर मौजूद हैं और ज़रूरतमन्दों को भोजन, जल व साफ़-सफ़ाई व्यवस्था मुहैया कराने में जुटे हैं. इस बीच, ख़सरा बीमारी के मामलों का पता चला है, जिसके बाद आपात टीके लगाने का काम शुरू किया गया है.

उधर, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने जल टैंक की व्यवस्था की है, जबकि विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने शरण के लिए पहुँच रहे लोगों के लिए गर्म भोजन का प्रबन्ध किया है.

मेडिकल सेवाओं पर भीषण दबाव है और अनेक लोगों ने बुरूंडी पहुँचने से पहले अत्यधिक हिंसा का सामना किया है. उन्हें मनोसामाजिक समर्थन सेवाओं की तत्काल दरकार है.

क्षेत्रीय विस्थापन

डीआरसी में हिंसा से बचकर भाग रहे लोगों ने बुरुंडी के अलावा अन्य पड़ोसी देशों में भी शरण ली है. 

जनवरी महीने के बाद से अब तक, युगांडा में 13 हज़ार लोग पहुँचे हैं, वहीं तंज़ानिया में 19 फ़रवरी को 53 शरणार्थी आए, जोकि वहाँ एक दिन में आने वाले लोगों की सबसे बड़ी संख्या है.

यूएन शरणार्थी एजेंसी की चार करोड़ डॉलर की अपील के ज़रिये डीआर काँगो में आन्तरिक तौर पर विस्थापित दो लाख 75 हज़ार लोगों को जीवनरक्षक सहायता प्रदान की जाएगी. 

साथ ही, बुरूंडी, रवांडा, तंज़ानिया, युगांडा और ज़ाम्बिया में ढाई लाख से अधिक लोगों के पहुंचने की सम्भावना के मद्देनज़र दानदाताओं से और अधिक समर्थन की पुकार लगाई गई है.