ग़ाज़ा में ज़रूरतमन्दों के लिए नक़दी सहायता; पश्चिमी तट में तनातनी पर चिन्ता
संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी कार्यालय (OCHA) ने बताया है कि ग़ाज़ा पट्टी में ज़रूरतमन्द फ़लस्तीनी आबादी तक तक सहायता पहुँचाने का अभियान जारी है, जिसके तहत नक़दी भी मुहैया कराई गई है. वहीं, पश्चिमी तट में इसराइली सैन्य बलों की कार्रवाई से उपजे हालात पर चिन्ता जताई गई है.
19 जनवरी को युद्धविराम लागू होने के बाद से अब तक, 1 लाख 38 हज़ार फ़लस्तीनियों को नक़दी की सहायता प्रदान की गई है. इनमें विकलांगजन, गर्भवती व स्तनपान करा रही महिलाओं समेत अन्य लोग हैं.
यूएन बाल कोष (UNICEF) ने बताया है कि ग़ाज़ा के बाज़ारों में भी हालात सुधरे हैं, पहले से कहीं ज़्यादा संख्या में सामान उपलब्ध हैं और उनकी क़ीमतों में भी कमी आई है.
पिछले वर्ष जुलाई महीने के बाद यह पहली बार है, जब पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं के विविध प्रकार की खाद्य सामग्री व आहार उपलब्ध है.
उन्हें पहले की तुलना में कहीं अधिक मात्रा में फल, सब्ज़ी, अंडे, व डेयरी उत्पाद खाने के लिए मिल रहे हैं.
यूएन मानवीय सहायताकर्मियों द्वारा ग़ाज़ा में लोगों के लिए आश्रय की भी व्यवस्था की जा रही है, जिसके तहत फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) ने हज़ारों परिवारों को टैंट, तिरपाल, कम्बल, ग़द्दों, कपड़ों और रसोई के सामान वितरित किए हैं.
पश्चिमी तट पर तनातनी
इस बीच, यूएन मानवतावादी कार्यालय ने चिन्ता जताई है कि पश्चिमी तट के उत्तरी हिस्से में 21 जनवरी को इसराइली सैन्य बलों का अभियान शुरू हुआ था, जोकि अब तक चल रहा है.
2000 के आरम्भिक वर्षों के बाद पहली बार इतने लम्बे समय तक कोई कार्रवाई हुई है.
OCHA ने आगाह किया है कि इसराइली बस्तियों के निवासियों द्वारा भी हिंसा व सम्पत्तियों को नुक़सान पहुँचाने की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है.
11 से 17 फ़रवरी के दौरान, ऐसी घटनाओं के 34 मामले दर्ज किए गए हैं, यानि हर दिन औसतन पाँच मामले.
एक घटना में, इसराइली बस्तियों के बाशिन्दों ने तुलकरेम गवर्नरेट में कृषि कार्य के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले जल पाइप को तोड़ दिया, जिससे अनेक फ़लस्तीनी किसानों की आजीविका पर असर हुआ है.
इसी अवधि में, बेथलेहम में 40 फ़लस्तीनी अल मानिया गाँव में विस्थापित हुए हैं, जहाँ इसराइली निवासियों द्वारा पिछले कुछ समय से बार-बार हमले किए जा रहे थे.
इसराइली प्रशासन ने सख़्त पाबन्दियाँ लागू की हुई हैं, जिससे फ़लस्तीनियों की आवाजाही में अवरोध है और उनके लिए बाज़ार, कार्यस्थल, आपात सेवा, स्वास्थ्य व शिक्षा केन्द्रों तक पहुँच पाना मुश्किल साबित हो रहा है.
यूएन एजेंसी ने 2023 के बाद से अब तक, हिंसा व ऐसी पाबन्दियों के कारण 2,300 फ़लस्तीनियों के विस्थापित होने की जानकारी जुटाई है, जिनमें 1,100 बच्चे हैं.
मानव अवशेष लौटाने की अपील
यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने शुक्रवार को बताया कि महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने चिन्ता जताई है कि ग़ाज़ा में बन्धक बनाकर रखी गई शिरी बिबास के अवशेष अब भी लापता हैं. शिरी बिबास को उनके बच्चों के अवशेषों के साथ गुरूवार को वापिस लौटाए जाने की बात कही गई थी.
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा है कि मृतकों की गरिमा का सम्मान किया जाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके अवशेष, अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून व मानवाधिकार क़ानून के अनुरूप, परिवारों को लौटा दिए जाएं.
यूएन महासचिव ने सभी पक्षों से अपने दायित्वों व संकल्पों को निभाने की अपील करते हुए ध्यान दिलाया है कि युद्धविराम को पूर्ण रूप से लागू रखना होगा और बन्धकों को रिहा किए जाने की प्रक्रिया भी जारी रहनी होगी.