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भारत: तमिलनाडु में महिला उद्यमियों को पंख देती एक परियोजना

भारत में विश्व बैंक की तमिलनाडु ग्रामीण परिवर्तन परियोजना, उद्यमिता को बढ़ावा देकर ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार पैदा करने में मदद कर रही है.
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भारत में विश्व बैंक की तमिलनाडु ग्रामीण परिवर्तन परियोजना, उद्यमिता को बढ़ावा देकर ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार पैदा करने में मदद कर रही है.

भारत: तमिलनाडु में महिला उद्यमियों को पंख देती एक परियोजना

आर्थिक विकास

भारत के तमिलनाडु प्रदेश में विश्व बैंक की मदद से, ग्रामीण क्षेत्रों में एक लाख से अधिक महिला उद्यमों को बढ़ावा दिया गया है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मज़बूत होने के साथ ही, उनकी प्रगति को नए पंख मिले हैं.  महिलाओं को ऋण के ज़रिए, अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए आवश्यक सहायता प्राप्त हुई है. 

प्रदेश सरकार के Matching Grants कार्यक्रम के तहत, 2022 से महिला नेतृत्व वाले 8 हज़ार 400 उद्यमों को ऋण की सुविधा प्रदान की गई है.

25 वर्षीय नित्या, माँ बनने के बाद से ही, अपने दो छोटे बच्चों को बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए, परिवार की आमदनी में योगदान करने के लिए उत्सुक थीं. 

लेकिन तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली ज़िले के सदियों पुराने मन्दिर के पास स्थित उनके सुन्दर गाँव में महिलाओं के लिए अवसर सीमित ही थे. वो कहती हैं, “मैं रोज़गारपरक काम करना चाहती थी लेकिन अपने बच्चों को छोड़कर शहर नहीं जा सकती थी.” 

आज, नित्या अपने गाँव में एक सफल चिनाई उद्यम चलाती हैं. उनके जीवन में यह निर्णायक मोड़ तब आया, जब उन्हें अपने स्वयं सहायता समूह द्वारा पास में स्थापित एक नए सामुदायिक कौशल स्कूल में, चिनाई प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिली. 

उन्होंने 20-दिवसीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में दाख़िला लिया, जहाँ उनकी मुलाक़ात तीन अन्य महिलाओं से हुई, जो उन्हीं की तरह अपना भविष्य सुधारने के लिए उत्सुक थीं. 

तीनों महिलाओं ने मिलकर साझेदारी में काम शुरू किया और जल्द ही स्थानीय पंचायत (ग्राम परिषद) के लिए 15 लाख ($18,300) मूल्य के 600 साइन बोर्ड बनाने का अपना पहला बड़ा सौदा हासिल कर लिया. 

आज, नित्या और उनकी साझीदार, एक पूर्ण निर्माण उद्यम चलाते हैं, जिससे हर दिन उन्हें लगभग 1,000 रुपये ($ 12.50) की आमदनी हो जाती है. उन्होंने अपने गाँव की तीन अन्य महिलाओं को भी अपने यहाँ काम पर रखा है. 

नित्या गर्व से बताती हैं, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि प्रशिक्षण के तुरन्त बाद मैं इतनी आय अर्जित कर पाऊँगी."

भारत में विश्तव बैंक की तमिलनाडु ग्रामीण परिवर्तन परियोजना, ग्रामीण क्षेत्रों में महिला उद्यमियों को समर्थन देकर, रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न करने में मदद कर रहा है.
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विश्व बैंक की मदद

नित्या की कहानी प्रदेश सरकार के Vazhndhu Kattuvom -VKP  (Let’s Live and Show) कार्यक्रम के प्रयासों के ज़रिए, पूरे तमिलनाडु में हो रहे बदलाव का एक छोटा सा उदाहरण है. 

विश्व बैंक के तमिलनाडु ग्रामीण परिवर्तन परियोजना द्वारा समर्थित कार्यक्रम से, लोगों का कौशल निर्माण करके, उद्यमिता को बढ़ावा देने की कोशिशें की जी रही हैं. साथ ही, छोटे व्यवसायों के लिए धन उपलब्धता आसान बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार पैदा किए जा रहे हैं.

यह परियोजना के तहत वर्ष 2019 में ढाई हज़ार सामुदायिक कौशल विद्यालय स्थापित किए गए. इन विद्यालयों के ज़रिए, 50 हज़ार से अधिक युवजन को लगभग 75 उद्यमों में प्रशिक्षित करने में मदद की गई है. इनमें 65 फ़ीसदी महिलाएँ हैं. 

ये विद्यालय ख़ासतौर पर महिलाओं की ज़रूरतों के अनुरूप, किफ़ायती, सुलभ व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं. यह प्रशिक्षण केन्द्र, सफल स्थानीय व्यवसायों द्वारा चलाए जाते हैं, जहाँ व्यवसाय के मालिक और सामुदायिक विशेषज्ञ ख़ुद, व्यवहारिक प्रशिक्षण देते हैं.

इन कौशल कार्यक्रमों के कई स्नातकों ने अपना ख़ुद का व्यवसाय शुरू करने में सफलता हासिल की है. परियोजना शुरू होने के बाद से, प्रदेश भर में लगभग 28 हज़ार 700 नए उद्यम शुरू किए गए हैं. 

दिलचस्प बात यह है कि अनेक महिलाओं ने, स्थानीय बाज़ारों में बिक्री के लिए एलईडी बल्बों के निर्माण जैसे पारम्परिक रूप से पुरुष प्रधान व्यवसायों को अपनाया है.

एक समय खेतिहर मजदूर के रूप में काम करने वाली बानू प्रिया ने बताया कि उन्हें पहले कभी-कभार ही काम मिल पाता था, “हमेशा कामकाज की तलाश में रहने के बजाय, अब मैं घर बैठे ही आय अर्जित कर पाती हूँ. अब मेरी आय स्थिर है और काम भी आसान हो गया है."

डी पूविज़ी कहती हैं, "अब मुझमें अधिक आत्मविश्वास है. इस परियोजना से मुझे जैसी महत्वाकाँक्षी उद्यमियों के सपनें हक़ीकत में बदलने में मदद मिल रही है."
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उभरती महिला उद्यमियों का समर्थन 

हालाँकि, कौशल विकास समीकरण का केवल एक हिस्सा मात्र है. नित्या जैसी कई महिलाओं के पास कौशल तो है, लेकिन उन्हें अक्सर व्यवसाय शुरू करने या बढ़ाने के लिए आवश्यक पूँजी जुटाना मुश्किल हो जाता है.

जानकी शिवगंगई का ही उदाहरण लें तो वो ज़िले के कोल्लांगुडी गाँव में अपने घर के पास स्थित अपने छोटे हार्डवेयर स्टोर को बढ़ाना चाहती थीं. उन्होंने अपने आभूषण गिरवी रखकर, स्वयं सहायता समूह से ऋण लेकर अपना स्टोर स्थापित किया था. 

अब उन्हें, बिजली के सामान की माँग बढ़ने के साथ, अपने व्यवसाय का विस्तार करने का अवसर दिखा, लेकिन उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि बैंक से ऋण किस तरह मिल सकता है.

यहाँ उन्हें Matching Grants Program परियोजना से मदद मिली. इसके ज़रिए जानकी को 30 प्रतिशत अनुदान दिया गया, जिसे वो एक ज़मानत की तरह दिखाकर एक वित्तीय संस्थान से ऋण प्राप्त करने में सक्षम हुईं. 

इस परियोजना ने उन्हें सामुदायिक सुविधा प्रदाता, रोज़ी से मिलवाया. रोज़ी उनकी व्यावसायिक क्षमता का आकलन करके उन्हें पास के वन स्टॉप फैसिलिटी केन्द्र - Mathi Siragugal Thozhil Mayyam ले गईं, जहाँ योग्य पेशेवरों ने बैंक ऋण के लिए आवश्यक दस्तावेज़ पूरे करने और मार्केटिंग रणनीति विकसित करने में उनकी मदद की.

जानकी बताती हैं, "रोज़ी और One Stop Facility केन्द्र का समर्थन अमूल्य था. उन्होंने न केवल मुझे ऋण प्राप्त करने में मदद की, बल्कि डिजिटल भुगतान प्रणाली और बहीखाता रखने के बेहतर तरीक़े भी सिखाए." 

"मेरा मुनाफ़ा 40 प्रतिशत बढ़ गया है, और बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए मैंने एक अन्य महिला को भी काम पर रखा है. आख़िरकार मैं अपने बच्चों को बेहतर स्कूल भेजने के अपने सपने को पूरा करने के लिए पर्याप्त आय अर्जित करने लगी हूँ.''

मैचिंग ग्राँट प्रोग्राम ने, 2022 से तमिलनाडु में 8 हज़ार 400 महिला नेतृत्व वाले उद्यमों को, 267 करोड़ रुपये ($3.19 करोड़) का ऋण लेने में सक्षम बनाया है.

विश्व बैंक परियोजना की लाभार्थी, सुलोचना ने बताया, "परियोजना के मिलान अनुदान कार्यक्रम ने मुझे निर्माण व्यवसाय शुरू करने और अन्य ज़िलों में उसका विस्तार करने में मदद की, जो इस उद्योग में महिलाओं के लिए एक उपलब्धि है."
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रोज़गार के अवसर 

इस परियोजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में, अब तक कुल मिलाकर एक लाख से अधिक उद्यमों को समर्थन दिया है.

परियोजना की मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस दिवादर्शिनी कहती हैं, "हमारा लक्ष्य न केवल ग़रीबी घटाना है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थाई समृद्धि को बढ़ावा देना है. हम महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों को प्राथमिकता देकर, यह सुनिश्चित करते हैं कि आर्थिक विकास के लाभ, समावेशी व दूरगामी हों."

परियोजना की सफलता ने तमिलनाडु सरकार को इस मॉडल का विस्तार करने के लिए प्रेरित किया है. बिहार और सिक्किम जैसे प्रदेशों ने भी, इन पहलों की परिवर्तनकारी शक्ति को पहचानकर, इनसे सबक़ सीखने के लिए तमिलनाडु में अपनी टीमें भेजी हैं.

परियोजना का नेतृत्व करने वाले विश्व बैंक के समिक सुन्दर दास का कहना है, “यह परियोजना केवल कौशल विकास या वित्तीय सहायता प्रदान करने के बारे में नहीं है. यह स्थाई आर्थिक बदलाव लाने के बारे में है, जो रोज़गार के ज़रिए, समुदायों की भावी पीढ़ियों का उत्थान करेगी.” 

कोडाईकनाल की, कोडाई पहाड़ी फ़सल किसान उत्पादक कम्पनी, कच्ची साबुत मिर्च की बिक्री से प्रति किलोग्राम 2 रुपये का लाभ कमा रही थी. विश्व बैंक की परियोजना से प्राप्त वित्तीय एवं ज्ञान समर्थन से, अब वो 50 रुपये प्रति किलोग्राम का लाभ कमाते हैं और कुल मिलाकर 1…
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